14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

चार घंटे में कैसे बनेगा फ्यूज कॉल

पटना: बिहार विद्युत विनियामक आयोग के स्टैंडर्ड ऑफ परफॉरमेंस (एसओपी) में विद्युत वितरण अनुज्ञप्तिधारी के प्रदर्शन हेतु मानक एक्ट के तहत शहरी उपभोक्ताओं को चार घंटे में फ्यूज कॉल की सुविधा उपलब्ध करानी है. लेकिन, इलेक्ट्रीशियन व मैनपावर की जो स्थिति है, उसमें यह मुमकिन नहीं जान पड़ता है. पटना शहर में ही फ्यूज कॉल […]

पटना: बिहार विद्युत विनियामक आयोग के स्टैंडर्ड ऑफ परफॉरमेंस (एसओपी) में विद्युत वितरण अनुज्ञप्तिधारी के प्रदर्शन हेतु मानक एक्ट के तहत शहरी उपभोक्ताओं को चार घंटे में फ्यूज कॉल की सुविधा उपलब्ध करानी है. लेकिन, इलेक्ट्रीशियन व मैनपावर की जो स्थिति है, उसमें यह मुमकिन नहीं जान पड़ता है.

पटना शहर में ही फ्यूज कॉल दुरुस्त करने में विभाग को छह-आठ घंटे लग जाते हैं. निर्धारित समय पर फ्यूज कॉल दुरुस्त नहीं होने की स्थिति में पीड़ित उपभोक्ता 50 रुपये प्रतिदिन की दर से मुआवजे का भी हकदार है.

मैनपावर की है कमी : होल्डिंग कंपनी से जुड़े सूत्रों की मानें, तो समय पर फ्यूज कॉल दुरुस्त न होने की मुख्य वजह मैन पावर की कमी है. बिजली कंपनी के प्रावधान के मुताबिक हर जूनियर इंजीनियर के अधीन फ्यूज कॉल के लिए पांच यूनिट गैंग होने चाहिए. हर गैंग में एक जूनियर लाइनमैन व दो खलासी होते हैं. बड़े ब्रेकडाउन की स्थिति में बिजली एसडीओ के अंदर भी गैंग अनिवार्य है, जिसमें एक लाइनमैन, एक जूनियर लाइनमैन, एक स्किल्ड खलासी व तीन खलासी होने चाहिए. लेकिन, पूरे पेसू क्षेत्र में कहीं भी जूनियर इंजीनियर के अधीन एक गैंग नहीं है. किसी तरह प्राइवेट मिस्त्री के सहारे काम चलाया जा रहा है.

47 सब स्टेशन, सात इलेक्ट्रीशियन : विशेषज्ञों के मुताबिक पेसू के सभी 47 सब स्टेशनों में एक-एक इलेक्ट्रीशियन होना चाहिए. लेकिन, फिलहाल कुल सात इलेक्ट्रीशियन ही उपलब्ध हैं. उनसे भी स्विच बोर्ड ऑपरेटर का काम लिया जाता है. इसी तरह मात्र नौ लाइन इंस्पेक्टर ही बचे हैं, जिनसे उनका काम छोड़ दूसरे काम लिये जाते हैं. प्रावधान के तहत प्रत्येक सब डिवीजन में एक हेड लाइनमैन व 50 ट्रांसफॉर्मरों पर एक इलेक्ट्रीशियन होना चाहिए. पर, ऐसा नहीं है. इससे ट्रांसफॉर्मरों या वितरण लाइन की सही ढंग से देख-रेख नहीं हो पाती.

नियमित मेंटेनेंस का अभाव : साढ़े 27 सौ किमी बिजली लाइन में कहीं भी 11 केवी तार टूटने पर फीडर बंद करना पड़ता है. ग्रिड को जोड़नेवाले 132 केवी का तार टूट जाये, तो दर्जनों पावर सब स्टेशन बंद हो जाते हैं. खपत बढ़ने से फीडरों को आपस में जोड़ने की योजना भी कारगर नहीं हो सकी. दूसरी ओर, लोड व ऊमस बढ़ने पर फीडरों को ठंडा करने के लिए उन्हें कुछ देर के लिए बंद भी करना पड़ता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें