पणजी : दूसरे राज्यों के लोगों के बेरोकटोक और अनियंत्रित तरीके से गोवा में आकर बसने से राज्य के मूल निवासियों पर अस्तित्व का संकट मंडराने लगा है.
राज्य सरकार द्वारा किए गए एक आकलन के अनुसार, ऐसी आशंका है कि वर्ष 2021 तक गोवा के मूल निवासी एक छोटे से अल्पसंख्यक समुदाय में सिमट कर रह जाएंगे. मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल ने कल शाम दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात करके ये आशंका जाहिर की.
बिना किसी रोक-टोक के होने वाले प्रवास और बाहरी लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन खरीदे जाने के कारण गोवा की अलग पहचान खोने के कगार पर है. हालांकि हम इस चलन पर पिछले एक दशक से गौर कर रहे हैं लेकिन अब यह डरावने स्तर तक पहुंच चुका है. हमें डर है कि वर्ष 2021 तक प्रवासी जनसंख्या गोवा के स्थानीय निवासियों की तुलना में ज्यादा हो जाएगी.
पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण कहलाने वाले इस तटीय राज्य में लगातार प्रवासियों के आकर बस जाने के संबंध में प्रधानमंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया कि राज्य के वैश्विक चरित्र को गलत समझा गया है. ज्ञापन की एक प्रति मीडिया को भी उपलब्ध करवायी गयी.