आप अगर आड़े-तिरछे मुंह बनाने में माहिर हैं तो ये हुनर जल्द ही आपके एंड्राएड फ़ोन की ज़रूरत भी बन सकता है.सॉफ़्टवेयर कंपनी गूगल ने एंड्राएड फ़ोन और टैबलेट की सुरक्षा के लिए एक ऐसा उपाय ढूंढा है जिसके चलते फ़ोन का इस्तेमाल करने के लिए उसे अनलॉक करते समय टेढ़ा-मेढ़ा मुंह बनाना होगा या फिर ज़बान बाहर निकालनी होगी.
कंपनी ने इसके लिए पेटेंट अर्ज़ी 2012 में दाख़िल की थी जिसे अब सार्वजनिक किया गया है.इसके मुताबिक़ नया सॉफ़्टवेयर ऐंड्रायड फ़ोन की सुरक्षा के लिए कुछ ऐसे मानकों की मांग करेगा जिनकी नकल करना मुमकिन ना हो.
नया सुरक्षा इंतज़ाम
नए पेटेंट में चेहरे की पहचान असफल रहने पर पासवर्ड का प्रावधान
फ़ोन इस्तेमाल करने के लिए चेहरे के विभिन्न भावों का इस्तेमाल करना होगा.
जैसे जीभ निकालना, मुंह खोलकर हंसना, माथे पर पड़ी शिकन या फिर भंवों का कंपन.
इस तरह की विशेष पहचान फ़ोन को बेहतर सुरक्षा प्रदान करेगी.
हालांकि जेली बीन एंड्राएड में ये सुविधा पहले से मौजूद है जहां फ़ोन खोलने के लिए चेहरे की पहचान औऱ आंखें झपकाना शामिल है.
लेकिन फ़ोटो और थोड़ी एडिटिंग के ज़रिए इस सुरक्षा घेरे को तो़ड़ना मुमकिन है.
लेज़र बीम का इस्तेमाल
एंड्रॉयड उपकरणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की कवायद में यह नया पेटेंट एक क़दम आगे बढ़ने का प्रयास है.
फ़ोन लॉक खोलने के लिए चेहरे के दो तीन भावों का इस्तेमाल एक के बाद एक करने की हिदायत किसी धोखाधड़ी की संभावना को कम कर सकता है.
ऐंड्रॉयड फ़ोन की वर्तमान सुरक्षा प्रणाली पूरी तरह सुरक्षित नहीं
हालांकि गूगल ख़ुद इस बात को स्वीकार करती है कि शायद इस हल का काट भी ढूंढ लिया जाए और ये काफ़ी ना हो.कंपनी इसे और पुख्ता बनाने के लिए उपकरणों में लेज़र बीम का प्रयोग करने का इरादा भी रखती है.लेकिन साइबर सुरक्षा के जानकारों का मानना है कि इसे हक़ीक़त बनने में लंबा वक्त लगेगा.
एक तकनीकी जानकार प्रोफ़ेसर ऐलेन वुडवर्ड ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "सुरक्षा के लिए गूगल कुछ विचारों और हाव-भाव पर निर्भरता की बात कर रहा है लेकिन एक पेटेंट अर्ज़ी लिखने और उसे वास्तविक उपाय बनाने में अंतर है.मुझे लगता है अभी कुछ समय तक पुराने तरीक़े से पासवर्ड पर निर्भरता जारी रहेगी."
उधर गूगल के एक प्रवक्ता का कहना है कि कंपनी ने अपने कर्मचारियों द्वारा सुझाए गए विभिन्न उपायों को सामने रखा है.इनमें से कुछ आगे चलकर वास्तविक परिणाम लाते हैं और कुछ नहीं. हर पेटेंट किसी नए उत्पाद की गारंटी तो नहीं देता.