लोहरदगा : नालसा एवं झालसा के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में बालश्रम पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया.
इस अवसर पर अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सह प्राधिकार के सचिव रंजीत कुमार ने कहा कि 14 वर्ष से कम आयु वाले व्यक्तियों को उद्योग, होटल आदि में काम करना दंडनीय अपराध है.
उन्होंने बालश्रम अधिनियम 1986 के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए बताया कि कोई भी व्यक्ति जो बच्चों को खतरनाक उपजीविकायें और प्रक्रियाएं जिसमें बाल मजदूरी की पाबंदी है, उससे काम कराता है तो ऐसे व्यक्ति को कम से कम 3 माह तथा अधिकतम 1 वर्ष की जेल हो सकती है या 10 हजार रुपये से 20 हजार रुपये तक जुर्माना हो सकता है. कोई भी व्यक्ति जो दोबारा जुर्माना हो सकता है.
कोई भी व्यक्ति जो दोबारा ऐसे अपराध का दोषी पाया जाता है, उसे कम से कम छह माह तथा अधिकतम दो वर्ष जेल हो सकती है. उपबंधित धाराओं के अनुसार मालिक निरीक्षक को अपने यहां नियुक्त बच्चों की सूचना नहीं देता या मालिक रजिस्टर नहीं रखता है, उसमें झूठी बात लिखता है तो एक महीने का साधारण कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माना या दोनों हो सकता है.
अधिवक्ता तौसिफ मेराज ने कहा कि हमारे देश का हर तीसरा बच्च बाल मजदूर हैं. वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार भारत में छह करोड़ से ज्यादा बाल मजदूर हैं. उनमें 1.5 करोड़ से ज्यादा बच्चे बंधुआ मजदूर हैं.
अधिवक्ता मिथिलेश कुमार ने कहा कि एमसी मेहता बनाम तमिलनाडू के पाढ़ में सर्वोच्च न्यायालय ने 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी खतरनाक कार्यो में नहीं लगाया जा सकता है. मौके पर अधिवक्ता दीपक कुमार, श्रम अधीक्षक प्रभु तुरी ने भी संबोधित किया. मौके पर श्रम विभाग के अधिकारी, कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में महिलाएं व बच्चे मौजूद थे.