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देश की गद्दी पर बैठे धार्मिक व्यक्ति

पटना: आज भारत की स्थिति दयनीय है. हर स्तर पर समस्याओं का अंबार है. भारत का अर्थ ही है प्रकाश में लीन रहना. भारत की जड़ धर्म और अध्यात्म है. आज धर्म से विमुख होने के कारण ही तमाम तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं. इनसान तरह-तरह के कष्टों से पीड़ित है. देश के […]

पटना: आज भारत की स्थिति दयनीय है. हर स्तर पर समस्याओं का अंबार है. भारत का अर्थ ही है प्रकाश में लीन रहना. भारत की जड़ धर्म और अध्यात्म है. आज धर्म से विमुख होने के कारण ही तमाम तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं. इनसान तरह-तरह के कष्टों से पीड़ित है. देश के अंदर आतंकवाद, भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होती जा रही हैं. इनसान का नैतिक पतन भी बढ़ता जा रहा है. सबसे अधिक चिंता का विषय यही है. ये बातें कथा वाचिका सुश्री आस्था भारती ने मंगलवार को गांधी मैदान में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संवाददाताओं से कही.

वृक्ष की तरह है समस्या
उन्होंने कहा, समस्या वृक्ष की तरह है. समस्या रूपी वृक्ष की कुछ शाखाएं, पत्ते आदि काटने से उसका समूल नाश नहीं होता. समूल रूप से समस्या रूपी वृक्ष को नष्ट करने के लिए उसकी जड़ों को नष्ट करना होगा. देश का हर इनसान धर्म व अध्यात्म से जुड़ जाये और शांति के पथ पर चले, तो भारत फिर से सोने की चिड़िया बन सकता है.
स्थितियां बदलनेवाली हैं

उन्होंने कहा, स्थितियां बदलनेवाली हैं. भारत फिर से जगदगुरु बनेगा. इसी दिशा में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान व गुरु आशुतोष जी महाराज का प्रयास चल रहा है. भारत धर्म और अध्यात्म की धरती रही है. जब अंगरेज आये, तो भारत को कमजोर करने के लिए कुछ ऐसे पंडितों को नियुक्त किया, जिन्होंने अर्थ को अनर्थ बताने का अभियान चलाया.

लक्ष्मी है राजनीति
उन्होंने कहा कि राजनीति लक्ष्मी है और धर्म विष्णु. दोनों एक साथ होते हैं, तो गरुड़ की सवारी होती है. जबकि, लक्ष्मी अकेले उल्लू पर सवार हो रात में आती हैं. अर्थात धर्म और राजनीति के एक साथ हुए बगैर जगत का कल्याण संभव नहीं है. राजनीति में जब-जब धर्म का समावेश हुआ है, देश उन्नति के शिखर पर पहुंचा है. वहीं जब-जब धर्म में राजनीतिक दखलंदाजी हुई है, तब-तब देश संकट में पड़ा है. दंगे-आतंकवाद, धार्मिक उन्माद आदि की घटनाओं की मुख्य वजह यही है. देश की गद्दी पर किसी धार्मिक व्यक्ति को बैठना चाहिए. जो राजा हो वह ब्रह्नाज्ञानी हो या फिर राजा को ब्रrाज्ञानी होना चाहिए.

अज्ञानता को खत्म करना होगा
उन्होंने कहा, परिवर्तन के लिए अज्ञानता को खत्म करना होगा. अज्ञानता खत्म हो जायेगी, तो परिवर्तन खुद-ब-खुद आ जायेगा. जहां धर्म है, वहीं शांति है. अगर हर आदमी के अंदर शांति का संदेश प्रकट कर दिया जाये, तो विश्व शांति स्वत: आ जायेगी. सिर्फ गेरुआ वस्त्र धारण कर लेने से कोई गुरु नहीं हो जाता. आज बहुत से ऐसे पाखंडी हैं, जो लोगों की श्रद्धा व भावना से खेलते हैं, लेकिन इसके लिए लोग भी कम दोषी नहीं होते. उन्हें पता ही नहीं है कि गुरु से मांगना क्या है. दिव्य ज्योति जागृति संस्थान और आशुतोष जी महाराज पाप को खत्म करना चाहते हैं.

यह पाप खत्म हो सकता है. और यह एक दिन होगा, जब धरती से पाप पूरी तरह समाप्त हो जायेगा. परमात्मा को धारण करना ही धर्म है. धर्म व अध्यात्म सभी कुरीतियों को खत्म कर सकता है. सिर्फ शाश्वत धर्म को पहचानने और उस मार्ग पर चलने की जरूरत है. तिहाड़ जेल में संस्थान की ओर से कैदियों को धर्म के मार्ग पर चलने के साथ-साथ उनके लिए व्यवसाय की शुरुआत भी की गयी है, ताकि वे बाहर जाकर वे अपना कोई अलग कारोबार चला सकें. इससे उन्हें अपराध के दलदल में नहीं आना पड़ेगा.

असीम ऊर्जा छिपी हैं युवाओं में
उन्होंने कहा कि युवाओं में असीम ऊर्जा छिपी होती है. जिसके अंदर सबसे ज्यादा शक्ति है, वही यूथ है. आज का युवा अपने बाहरी शरीर को देखने और चमकाने में मशगूल है. लेकिन, जिस दिन वह अपने अंदर की शक्ति को पहचान लेगा, फिर उसे समाज को आगे बढ़ाने से कोई रोक नहीं सकता. भगवान कृष्ण से सभी युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए. भगवान माखन खाते हैं, इसका संदेश यह है कि शरीर को मजबूत रखा जाये. साथ ही मटकी भी फोड़ते हैं, इसलिए कि लोगों कंस को लेकर बैठा हुआ भय खत्म हो सके.

ईश्वर को जान लेना ही काफी है
उन्होंने कहा कि जिसने ईश्वर को जान लिया, वह सारी चीजों को जान लेता है. फिर उसे शास्त्र और धर्म-कर्म की सारी बातें खुद-ब-खुद समझ में आने लगती हैं. ठीक उसी प्रकार कि जिसने किसी राजा को अपने अधीन कर लिया, तो उसका राज-पाट समेत तमाम संपदा पर उसका आधिपत्य हो जाता है. भागवत कथा किसी भी इनसान के लिए इतना परिपूर्ण है कि कोई नौ दिनों तक पूरे मनोयोग से कथा का श्रवण कर ले, तो वह ब्रह्नाज्ञानी हो जायेगा. नहीं, तो निश्चित रूप से धर्म-अध्यात्म से जुड़ जायेगा.

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