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बंगाल-बिहार से पिछड़ा झारखंड

बोकारो: इंजीनियरिंग में झारखंड ने राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान बनायी थी, वहीं मेडिकल में मुंह की खायी है. मेडिकल प्रवेश परीक्षा-2013 में झारखंड पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ अन्य राज्यों से भी काफी पीछे रहा. कम से कम आंकड़े तो यही बता रहे हैं. मेडिकल प्रवेश परीक्षा में झारखंड के कुल 4862 विद्यार्थी सफल हुए […]

बोकारो: इंजीनियरिंग में झारखंड ने राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान बनायी थी, वहीं मेडिकल में मुंह की खायी है. मेडिकल प्रवेश परीक्षा-2013 में झारखंड पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ अन्य राज्यों से भी काफी पीछे रहा. कम से कम आंकड़े तो यही बता रहे हैं.

मेडिकल प्रवेश परीक्षा में झारखंड के कुल 4862 विद्यार्थी सफल हुए हैं, जबकि बिहार के 18533 व पश्चिम बंगाल के 16859 विद्यार्थी सफल हुए हैं. देश के अन्य राज्यों का रिजल्ट भी झारखंड से बेहतर रहा है.

झारखंड की शैक्षणिक राजधानी बोकारो के विद्यार्थियों ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर जिले का मान बरकरार रखा है. झारखंड का भी मान बढ़ाया है. मेडिकल प्रवेश परीक्षा में बोकारो के 200 से अधिक विद्यार्थी सफल हुए हैं. इसके अलावा रांची, जमशेदपुर व धनबाद के बच्चों ने भी राज्य की लाज बचायी है. लेकिन, अन्य राज्यों की तुलना में झारखंड का रिजल्ट चिंतनीय है. शिक्षा विशेषज्ञ इस बार के परिणाम से संतुष्ट नहीं है.

प्रतिभा की नहीं है कमी : बोकारो सहित झारखंड में प्रतिभा की कमी नहीं है. यहां के विद्यार्थी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता का परचम लहराते रहे हैं. चाहे वह इंजीनियरिंग का क्षेत्र हो या अन्य क्षेत्र. वर्ष 1993 में डीपीएस बोकारो के प्रसून कुमार झा का ऑल इंडिया रैंक 1 था. डीपीएस बोकारो के ही शैलेश झा ने 2006 में सीबीएसइ 12वीं बोर्ड में पूरे देश में सर्वाधिक अंक प्राप्त किया था. इसी तरह अन्य प्रतियोगी व प्रवेश परीक्षाओं में भी बोकारो के विद्यार्थी श्रेष्ठ प्रदर्शन करते रहे हैं.

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