कुटुंबा (औरंगाबाद) : जिलाधिकारी औरंगाबाद द्वारा कुटुंबा प्रखंड के सीओ ओमप्रकाश गुप्ता और बीडीओ अभय कुमार को नन बैंकिंग कंपनियों के क्रियाकलापों के जांच के आदेश का पत्र निर्गत कर दिया गया है.
उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा है कि आम जनता की धन राशि निवेश जमा कराने से संबंधित क्रियाकलाप प्रकाश में आया है. इसकी जांच कर सभी स्थितियों से अवगत होकर सूचित करें. डीएम ने वित्त सांस्थिक विभाग के सचिव संजीव हंस के पत्र का हवाला देते हुए कहा है कि बिहार के किसी भी नन बैंकिंग संस्था को आम जनता को धन राशि जमा करने का अधिकार प्राप्त नहीं है.
उन्होंने यह भी बताया है कि देश में 252 कंपनियां निवेशकर्ताओं से जमा लेने के लिए प्राधिकृत है, जो कहीं भी संस्था खोल कर कारोबार कर सकती है. इन कंपनियों की सूची रिजर्व बैंक के वेबसाइट पर उपलब्ध है, तथा सेबी द्वारा भी यह जानकारी दी गयी है कि डीवेन्वर-प्लांटेशन शेयर के रूप में कार्य करने की अनुज्ञप्ति उनके स्तर से किसी भी ननबैंकिंग को नहीं दी गयी है.
पत्र में यह भी दरशाया गया है कि बिहार में ननबैंकिंग कंपनियां कार्यालय खोल कर लोगों को तरह-तरह का प्रलोभन देकर पैसा ठगने का काम कर रही है. कोई कंपनी दो साल में तो कोई कंपनी चार साल में पैसा दुगुना से चौगुना करने का आश्वासन देती है.
नन बैंकिंग का एजेंट लोगों को झांसा में फंसाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते है और कंपनी के व्यवसाय में बड़े-बड़े अस्पताल, होटल, रेस्टोरेंट, फैक्टरी, एंबुलेंस, भूमि आदि धरोहर के रूप में दिखाते है. पर, हकीकत उनके पास कुछ नहीं है.
इस तरह उनके पास आरबीआइ न सेबी का गाइड लाइन है फिर भी सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए प्रखंड क्षेत्र में कई ऐसी नन बैंकिंग संस्था कार्यालय खोल कर बैठी हुई और उसके एजेंट ग्रामीण क्षेत्र के भोले भाले लोगों को पैसे दुगुना करने के नाम पर बहला फुसला कर रुपये वसूलते है.
जांच के आदेश का भनक लगते ही प्रखंड मुख्यालय अंबा के कुछ नन बैंकिंग कंपनियां नाम बदल रहे है तो कुछ कंपनियां बोर्ड हटा कर भागते देखे जा रहे है. हालांकि अब तक जांच शुरू नहीं हुई है पर नन बैंकिंग कंपनियां के अधिकारी सहमे हुए है. जांच से इसका खुलासा होगा. अंबा के हरिहरगंज रोड स्थित बीयर्ड ग्रुफ ऑफ कंपनी अपने बोर्ड समेत फरार हो गया. लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगी.