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बैंगन की खेती ने बदली किसानों की तकदीर

रतनी फरीदपुर : सदर प्रखंड का अमैन गांव गोल बैगन (भंटा) उत्पादन के लिए पूरे सूबे में विशिष्ट स्थान रखता है. यहां के किसान अब रबी फसल को छोड़ कर बैगन की खेती कर अपनी तकदीर बदलने की कोशिश कर रहे हैं. बभना-शकुराबाद मार्ग पर अवस्थित इस गांवों के किसान द्वारा उपजाये गये सैक ड़ों […]

रतनी फरीदपुर : सदर प्रखंड का अमैन गांव गोल बैगन (भंटा) उत्पादन के लिए पूरे सूबे में विशिष्ट स्थान रखता है. यहां के किसान अब रबी फसल को छोड़ कर बैगन की खेती कर अपनी तकदीर बदलने की कोशिश कर रहे हैं.

बभना-शकुराबाद मार्ग पर अवस्थित इस गांवों के किसान द्वारा उपजाये गये सैक ड़ों मन भंटे प्रतिदिन जिले के अलावा झारखंड तथा बंगाल भी भेजे जाते हैं. राज्य के बाहर भेजने के कारण किसानों को अच्छी खासी आमदनी हो जाती है. यदि जिला मुख्यालय में यहां का बैगन आना बंद हो जाये, तो शादी-विवाह के अवसर पर भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. पटना एवं रांची की सब्जी मंडी में तो अमैन के भंटे की धूम ही रहती है.

इसका उत्पादन से यहां के किसान की स्थिति काफी सुधरी है. इसके मुनाफे को देखते हुए युवकों में भी इसकी खेती करने के प्रति रुचि बढ़ी है, जिसका यह नतीजा है कि अब यहां 20 एकड़ से भी अधिक जमीन पर इसकी खेती की जा रही है. इस कार्य में लगे किसान मोहन सिंह का कहना है कि सरकार के उपेक्षित रवैये के कारण यहां के किसानों को भंटा उत्पादन में किसी प्रकार का सहयोग नहीं किया जा रहा है.

अगर सरकार द्वारा सिंचाई तथा कीटनाशक दवा की व्यवस्था करायी जाती है, तो यहां का सुस्वादु भंटा का उत्पादन और बढ़ता. लेकिन सरकारी स्तर पर उपेक्षा के कारण इधर दो चार वर्षो से पौधे में सुखड़ा रोग लगने के कारण कई एकड़ में भंटे के पौधे सुख जाते हैं. इसके अलावा भयानक गरमी व पछुआ हवा के थपेड़ों से भी लहलहाते पौधे को काफी नुकसान होता है. कुल मिला कर यहां के किसानों को अगर सरकारी स्तर पर सहयोग मिलता तो इसका उत्पादन के साथ-साथ किसानों की दशा में भी और बढ़ोतरी होती.

यह हालत तब बनी हुई है, जब कृषि के क्षेत्र में किसानों के लिए सरकार तरह-तरह की योजनाएं चला रही हैं. इसके बावजूद इन योजनाओं का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है.

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