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बिना परीक्षा पास किये मिल रहा दाखिला

* कंडक्टर की परीक्षा से आइआइएम तक मुन्ना भाइयों की पैठ* शिक्षा माफियाओं का खेल– प्राय: ये खबरें आती हैं कि अमुक परीक्षा में वास्तविक उम्मीदवार के बदले कोई और परीक्षा देते पकड़ा गया. इसके एवज में रैकेट चलाने वाले लोग प्रति उम्मीदवार लाखों वसूलते हैं. कुछ मौकों पर पुलिस इन्हें पकड़ती है, पर अधिकांश […]

* कंडक्टर की परीक्षा से आइआइएम तक मुन्ना भाइयों की पैठ
* शिक्षा माफियाओं का खेल
– प्राय: ये खबरें आती हैं कि अमुक परीक्षा में वास्तविक उम्मीदवार के बदले कोई और परीक्षा देते पकड़ा गया. इसके एवज में रैकेट चलाने वाले लोग प्रति उम्मीदवार लाखों वसूलते हैं. कुछ मौकों पर पुलिस इन्हें पकड़ती है, पर अधिकांश मामलों में पैसे और सेटिंग के बल पर लोग अपने मनचाहे संस्थानों में दाखिला ले लेते हैं. दुर्भाग्य यह है कि कई बार संस्थान के लोग भी इसमें संलिप्त होते हैं. जाहिर-सी बात है कि गलत तरीके से दाखिला लेनेवाले लोग आगे चल कर और भी दूसरे रास्ते अख्तियार करते हैं. –

भारत के टॉप मैनेजमेंट संस्थानों में दाखिला लेना हर छात्र का सपना होता है. लेकिन इसके लिये उसे प्रवेश परीक्षा, ग्रुप डिस्कशन, पर्सनल इंटरव्यू आदि से गुजरना होता है. पर एमबीए की चाह रखने वाले कई छात्र ऐसे भी होते हैं, जो दाखिले के लिए शॉर्ट कट अपनाने से बाज नहीं आते. हाल ही में मुंबई के नरसी मोंजी इंस्टीटय़ूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज ने पाया कि एप्टीटय़ूड परीक्षा में 80 छात्रों ने अपने लिये जाली उम्मीदवार को बैठाया. जो सही उम्मीदवार थे, वे परीक्षा में बैठे ही नहीं. इसके बदले में दलालों (मीडिएटर) ने प्रति उम्मीदवार 15 लाख रुपये तक वसूले.

इस संबंध में पुलिस ने दिल्ली में कैरियर काउंसिलिंग चलाने वाले ब्रजेंद्र प्रताप राम प्रताप सिंह को पकड़ा, जिसने बताया कि सब कुछ भीतर से मैनेज किया जाता है. प्रति उम्मीदवार 15 लाख रुपये वसूले गये. 7.5 लाख रुपये एडवांस लिये गये थे. छात्रों को बता दिया जाता है कि उन्हें परीक्षा में शामिल नहीं होना है.

* तेज-तर्रार बैठते हैं परीक्षा में : परीक्षा में तेज-तर्रार लोग बैठते हैं. पुलिस के अनुसार, जाली उम्मीदवारों को एक परीक्षा के लिए बड़ी रकम दी जाती है. यह राशि 50 हजार से एक लाख रुपये तक हो सकती है. उदाहरण के लिए, वीआइटी कानपुर के इंजीनियर आलोक कुमार एक कोचिंग सेंटर शुरू करना चाहते थे. उन्होंने पैसे के लिए जाली उम्मीदवार बन कर परीक्षा दी. पिछले साल मई में मेडिकल सीटों के लिए होनेवाली ओड़िशा संयुक्त प्रवेश परीक्षा में चार जाली उम्मीदवार पकड़े गये. ये सभी द्वितीय वर्ष के मेडिकल के छात्र थे. परीक्षा देने के बदले उन्हें प्रति उम्मीदवार 50 हजार रुपये दिये गये.

ताजा मामला (20 मई 2013) असम मेडिकल कॉलेज इंट्रेंस एक्जाम का है. इसमें वास्तविक उम्मीदवार के बदले परीक्षा दे रहे 10 जाली उम्मीदवार पकड़े गये. इसी तरह का एक और मामला 7 अप्रैल 2013 का है, जब दुर्गापुर में संयुक्त प्रवेश मुख्य परीक्षा में एक जाली उम्मीदवार पकड़ा गया. उसने पुलिस को बताया कि वह आइआइटी खड़गपुर का छात्र है.

* काम करता है रैकेट : इस मामले में अलग-अलग क्षेत्रों में एक बड़ा रैकेट काम करता है, जिसमें कोचिंग और कंसल्टेंसी सेंटरों की भूमिका अहम होती है. दरअसल ये छात्रों को फंसाते हैं. उन्हें लालच देते हैं कि आपको परीक्षा में नहीं बैठना है. बस, घर पर बैठ कर परीक्षा पास करिए. दुर्गापुर में पकड़े गये जाली उम्मीदवार ने पुलिस को बताया कि पटना के एक कोचिंग सेंटर ने उसे यहां भेजा. 80 हजार में फाइनल डील हुई थी, जिसमें से 40 हजार रुपये उसे मिले थे.

पटना, इलाहाबाद, बेंगलुरु, चंडीगढ़ जैसे कई शहरों में ऐसे रैकेट कुकुरमुत्तों की तरह फैले हैं. इस मामले में दिलचस्प यह है कि कई बार कॉलेज या संस्थान ही एजेंट रखते हैं, जो छात्रों से मोटी रकम वसूलते हैं. 6 सितंबर 2010 को बेंगलुरु विश्वविद्यालय में ऐसा ही मामला आया था. 41 कॉलेजों में संचालित होनेवाली बीएड की प्रवेश परीक्षा में कई जाली उम्मीदवार पकड़े गये. जालसाजों ने बताया कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने ही सारी सेटिंग की थी. ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिससे पता चलता है कि न केवल शिक्षा माफिया, बल्कि अच्छी जगहों पर नौकरी कर रहे लोग, टॉपर छात्र और संस्थान भी इस रैकेट में शामिल हैं.

* कैट तक नहीं बचा : सबसे ज्वलंत उदाहरण कैट परीक्षा है, जिसे देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा मानी जाती है और जिसमें 3500 सीटों के लिए दो लाख से अधिक उम्मीदवार भाग लेते हैं. कोझिकोड आइआइएम के प्रोफेसर एसएसएस कुमार के अनुसार, जब से कैट की परीक्षा ऑनलाइन की गयी, तब से दो चीजें सामने आयी हैं, पहली-जाली उम्मीदवारों की और दूसरी एक ही वर्ष में उम्मीदवार कई बार टेस्ट में अपीयर होते हैं. कैट 2012 की परीक्षा में पांच प्रतिशत छात्रों को रोका गया, क्योंकि उनके पास पहचान के सही प्रमाण पत्र नहीं थे. पुलिस ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश में तीन कोचिंग सेंटरों को इस गोरखधंधे में संलिप्त पाया.

* कंडक्टर की परीक्षा में भी जाली उम्मीदवार : ऐसा नहीं है कि केवल मेडिकल, इंजीनियरिंग, एमबीए आदि परीक्षाओं में ही जाली उम्मीदवार परीक्षा दे रहे हैं, बल्कि कंडक्टर की परीक्षा में भी जाली उम्मीदवार दूसरों के लिए परीक्षा दे रहे हैं. अगस्त 2011 में चंडीगढ़ पुलिस ने बताया था कि अक्तूबर 2010 में चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग की कंडक्टर भरती परीक्षा में कई जाली उम्मीदवार शामिल हुए . पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा ली जानेवाली परीक्षा में 144 सीटों के लिए 30 हजार छात्र शामिल हुए थे. जाली उम्मीदवारों ने प्रति छात्र 50 हजार रुपये तक लिये थे. इसी तरह 01 अक्तूबर 2012 को मध्यप्रदेश पुलिस कांस्टेबल भरती परीक्षा में 32 जाली उम्मीदवार शामिल हुए थे. 03 अगस्त 2009 को इलाहाबाद के कन्हैया लाल कॉलेज में एसएससी के डाटा इंट्री ऑपरेटर परीक्षा में कुछ जाली उम्मीदवार पकड़े गये. इन्हें 50 हजार रुपये दिये गये. एडवांस में पांच हजार रुपये मिले थे.

* 3 अगस्त 2009-
एसएससी डाटा इंट्री ऑपरेटर परीक्षा, इलाहाबाद
* कन्हैया लाल कॉलेज से जाली उम्मीदवार पकड़े गये.
* 50 हजार रुपये प्रति उम्मीदवार मिले

* 21 अगस्त 2010
आचार्य श्री चंद्र कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस, जम्मू विश्वविद्यालय
सात जाली उम्मीदवार गिरफ्तार
प्रति उम्मीदवार एक लाख रुपये मिले

* 6 मई 2012
ओड़िशा संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मेडिकल सीट के लिए)
चार जाली उम्मीदवार पकड़े गये
प्रति उम्मीदवार 50 हजार रुपये मिले

* 7 अप्रैल 2013
संयुक्त मुख्य प्रवेश परीक्षा, दुर्गापुर
एक जाली उम्मीदवार गिरफ्तार
प्रति उम्मीदवार 40 हजार रुपये मिले

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