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‘स्पाट फिक्सिंग’ पर नया कानून अगस्त तक:सिब्बल

नयी दिल्ली : आईपीएल स्पाट फिक्सिंग के हंगामे के बीच सरकार ने आज जोर दिया कि वह इस तरह की ‘अनुचित गतिविधियों’ से निपटने के लिये जुलाई या अगस्त तक नया व्यापक कानून लायेगी लेकिन इस पर अध्यादेश लाने की बात से इनकार किया. मैच फिक्सिंग और स्पाट फिक्सिंग से निपटने के लिये नया कानून […]

नयी दिल्ली : आईपीएल स्पाट फिक्सिंग के हंगामे के बीच सरकार ने आज जोर दिया कि वह इस तरह की ‘अनुचित गतिविधियों’ से निपटने के लिये जुलाई या अगस्त तक नया व्यापक कानून लायेगी लेकिन इस पर अध्यादेश लाने की बात से इनकार किया.

मैच फिक्सिंग और स्पाट फिक्सिंग से निपटने के लिये नया कानून लाने की प्रक्रिया की पहल करने वाले कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार सभी राजनीतिक दलों और अन्य पक्षों से इस पर सलाह मश्विरा करके सुनिश्चित करेगी ताके यह संसद में आसानी से पारित हो. सिब्बल ने एक साक्षात्कार में सहमति जतायी कि इस तरह का कानून बनाने में देरी हुई क्योंकि मैच फिक्सिंग के आरोप सबसे पहले 1990 के दशक में सामने आये थे जब भारतीय क्रिकेट टीम आस्ट्रेलिया के दौरे पर थी.

यह नया व्यापक कानून सभी तरह के खेलों पर लागू होगा. उन्होंने इसके बारे में कहा, ‘‘हम इस कानून को जुलाई-अगस्त (संसद के मानसून सत्र) में पारित कराने के इच्छुक हैं.’’ इसमें ‘अनुचित गतिविधियों’ की भी व्याख्या की जायेगी जिसमें ऐसा कृत्य या इशारा शामिल होगा जो किसी मैच या टूर्नामेंट का परिणाम बदल सकता है. यह खिलाड़ियों, जिसमें अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भी शामिल हैं, के अलावा कारपोरेट, सट्टेबाज और अपराधियों पर लागू होगा. सिब्बल ने इस संबंध में अध्यादेश लाने से इनकार किया और कहा कि मौजूदा आईपीएल टूर्नामेंट आज ही खत्म हो जायेगा.

सिब्बल ने कहा कि विधेयक का पहला मसौदा कुछ दिन में तैयार हो जाएगा और इसे विशेषज्ञों और अन्य संबंधित लोगों के नजरिये के लिए खेल मंत्रालय के पास भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों के साथ सलाह मशविरा किया जाएगा.कानून मंत्री ने कहा, ‘‘जब तक सभी संबंधित पक्षों के साथ सलाह मशविरा नहीं हो जाता तब तक हम आगे नहीं बढ़ेंगे. अगर राजनीतिक इच्छा शक्ति है तो यह पारित हो जाएगा.’’ सिब्बल ने कहा कि सरकार ऐसा कानून तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है. कानून मंत्री ने कहा कि मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी भी नया कानून लाने के मुद्दे पर उनके साथ है लेकिन कानून की सामग्री पर सभी दलों के साथ चर्चा करने की जरुरत है.

प्रस्तावित विधेयक की सामग्री पर चर्चा नहीं करते हुए सिब्बल ने कहा कि यह इतना कठोर भी नहीं होना चाहिए कि खेल भावना प्रभावित हो और इतना उदार भी नहीं कि लोगों को लगे कि वे बच निकलेंगे. उन्होंने कहा कि इस कानून में ‘संतुलन’ होना चाहिए. नये कानून की जरुरत पर बल देते हुए सिब्बल ने कहा कि मौजूदा कानून पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 420 इस तरह के अपराध से निपटने के लिए सबसे करीब है लेकिन इससे उन्हें कोई नतीजा नहीं मिल रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘नये कानून से जांचकर्ताओं को इस तरह के अनुचित कृत्यों से निपटने के दौरान मदद मिलेगी.’’ प्रतिष्ठित वकील सिब्बल ने कहा कि इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए आईपीसी में संशोधन किया जा सकता था लेकिन अटार्नी जनरल जीई वाहनवती नया व्यापक कानून लाने के पक्षधर हैं. सिब्बल ने कहा कि इस पर भी विवाद था कि इस तरह का कानून केंद्र द्वारा बनाया जाना चाहिए या फिर राज्य सरकार द्वारा क्योंकि खेल राज्य सूची के अंतर्गत आते हैं.

यह पूछने पर कि इस तरह के कानून को लाने में ‘काफी देरी’ हुई तो कानून मंत्री ने कहा, ‘‘हां, मुङो ऐसा लगता है. यह सब :मैच फिक्सिंग: पहली बार 1990 दशक के बीच में सामने आया था जब भारतीय टीम आस्ट्रेलिया के दौरे पर थी. इसके बाद से हम इस मुद्दे से जूझ रहे हैं कि किस सरकार के पास इस कानून का मसौदा तैयार करने का अधिकार है.’’ सिब्बल ने कहा कि हालांकि फैसला लिया गया कि केंद्र को इस तरह का नियम ‘अवशिष्ट शक्तियों’ के अंतर्गत बनाना चाहिए क्योंकि इस तरह के अपराध राज्य के अधिकार क्षेत्र से परे चले जाते हैं और इसका अंतरराष्ट्रीय दायरा भी हो सकता है.

उन्होंने बताया कि राज्य सभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली भी इस तरह के कानून के पक्ष में थे, जिनसे वह शुक्रवार को मिले थे. उन्होंने कहा कि राज्य इस तरह की गतिविधियों को रोकने में समर्थ नहीं होगा जिसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयाम हों. उन्होंने बताया कि वाहनवती ने कहा कि भले ही सट्टेबाजी या जुआ कानूनी है या नहीं, प्रस्तावित कानून तब भी लागू होगा.

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