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तलवार दंपति गवाहों को बुलाने शीर्ष अदालत पहुंचा

नयी दिल्ली: आरुषि हेमराज हत्या मामले में 14 गवाहों को तलब करने की याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा ठुकराए जाने के बाद मामले में आरोपी तलवार दंपति ने आज उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ नूपुर और राजेश तलवार की याचिका बी एस चौहान और दीपक मिश्रा की पीठ […]

नयी दिल्ली: आरुषि हेमराज हत्या मामले में 14 गवाहों को तलब करने की याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा ठुकराए जाने के बाद मामले में आरोपी तलवार दंपति ने आज उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ नूपुर और राजेश तलवार की याचिका बी एस चौहान और दीपक मिश्रा की पीठ के सामने आई और इसपर सुनवाई के लिए 28 मई की तारीख मुकर्रर कर दी गई.

इस माह यह दूसरा मौका है जब तलवार दंपति ने अतिरिक्त गवाहों को बुलाने के लिए उच्चतम न्यायालय में दस्तक दी है. तलवार दंपति जिन गवाहों को उनके बयान दर्ज करने के लिए बुलाना चाहता है उनमें उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) और उस समय सीबीआई के संयुक्त निदेशक अरुण कुमार शामिल हैं.

उन्होंने उच्च न्यायालय के 21 मई के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया था कि अभियोजन पर बिना जरुरत वाले गवाहों को बुलाने के लिए दबाव डालने की कोई वजह नहीं है.उच्च न्यायालय का मानना था कि निचली अदालत को यह फैसला करने का अधिकार है कि किन गवाहों को बुलाया जाए और उनके बयान दर्ज किए जाएं.

इससे पूर्व 13 मई को उच्चतम न्यायालय ने उनकी याचिका ठुकरा दी थी और निचली अदालत के फैसले को सीधे शीर्ष अदालत में चुनौती देने पर कड़ा एतराज किया था. इसके बाद तलवार दंपति ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की.

शीर्ष न्यायालय की पीठ ने तलवार दंपति से कहा था कि वह पहले उच्च न्यायालय जाएं और सीधे उच्चतम न्यायालय में आने को गलत परंपरा करार दिया. एक तरफ तलवार दंपति उंची अदालतों में कानूनी सुधार की कोशिश में है और उधर निचली अदालत ने उनकी किशोर पुत्री आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज की हत्या के मामले में अपनी कार्यवाही आगे बढ़ा दी है. राजेश और नूपुर इस मामले में आरोपी हैं.

निचली अदालत ने छह मई को उनकी याचिका नामंजूर कर दी थी और राजेश एवं नूपुर के बयान दर्ज करने का आदेश दिया था. अभियोजन के अंतिम गवाह सीबीआई के जांच अधिकारी एजीएल कौल का बयान दर्ज हो चुका है. सीबीआई का कहना यह है कि पांच वर्ष पहले की घटना में 14 वर्ष की आरुषि को उसके माता पिता ने ही मौत के घाट उतारा क्योंकि घर में बाहर का कोई व्यक्ति मौजूद नहीं था.

मामले में सीबीआई जांच का नेतृत्व करने वाले कौल ने अदालत के सामने कहा कि जांच एजेंसी तलवार के आवास में किसी तीसरे व्यक्ति के प्रवेश करने का कोई सुबूत पेश नहीं कर पाई. आरुषि को 16 मई 2008 को उसके बेडरुम में कटे गले के साथ मृत पाया गया था. शुरुआती संदेह घरेलू नौकर हेमराज पर था, लेकिन अगले ही दिन उसका भी शव दिल्ली के बाहरी इलाके के नोएडा में जलवायु विहार स्थित तलवार के आवास की छत से मिला.

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