बिहारशरीफ (नालंदा) : शहर में निजी व सामाजिक समारोहों में नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए मनमाने ढंग से ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग किया जा रहा है.
इस दौरान अस्पताल, न्यायालय, स्कूल व अन्य प्रतिबंधित क्षेत्र भी ध्वनि विस्तार यंत्रों से वर्जित नहीं हैं. कानूनी प्रावधान के अनुसार सुबह छह बजे से रात्रि 10 बजे तक सक्षम पदाधिकारी के पूर्व अनुमति से ही उक्त प्रतिबंधित स्थानों के 100 मीटर दायरे से बाहर ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग निर्धारित डेसीबल पर किया जा सकता है, लेकिन इस नियम की अवहेलना कर काफी तेज आवाज में डीजे, बैंड व लाउडस्पीकर का उपयोग न सिर्फ प्रतिबंधित क्षेत्रों के आसपास किया जा रहा है, बल्कि समय सीमा का भी कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा है.
शादी-विवाह, गृहवास व अन्य सामाजिक समारोहों में ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग के लिए अनुमति लेना तो दूर की बात है, 10 बजे रात्रि के बाद भी खुलेआम इसका उपयोग किया जा रहा है. कारण ध्वनि प्रदूषण फैलने के साथ ही लोगों की श्रवण शक्ति पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. ध्वनि-प्रदूषण के कारण लोगों में बहरेपन की शिकायत काफी तेजी से बढ़ने लगी है.
कोर्ट का कार्य हुआ बाधित
ध्वनि विस्तारक यंत्रों के मनमाने उपयोग का एक ज्वलंत उदाहरण मंगलवार को उस समय देखने को मिला, जब स्थानीय व्यवहार न्यायालय का कार्य पास में ही स्थित एक निजी मकान पर लगे ध्वनि विस्तारक यंत्र की वजह से बाधित हो गया. लाउडस्पीकर की तेज आवाज से जब न्यायिक कार्य करना मुश्किल हो गया तो जिला जज ने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल पुलिस को कार्रवाई का निर्देश दिया.
बिहार थाने के इंस्पेक्टर मुंद्रिका प्रसाद ने तत्काल लाउडस्पीकर को बंद करवाकर ऑपरेटर को हिरासत में लेकर जिला जज के समक्ष प्रस्तुत किया. जिला जज ने ऑपरेटर को कड़ी चेतावनी देते हुए भविष्य में इस तरह की गलती नहीं करने का वायदा करने पर छोड़ दिया. सदर एसडीओ परितोष कुमार ने बताया कि शादी-विवाह जैसे सामाजिक कार्यो के दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग की अनदेखी का परिणाम है कि लोग नियमों का उल्लंघन कर मनमानी कर रहे हैं.
अगर प्रावधान के अनुसार निर्धारित मानदंडों का पालन नहीं करने पर समारोह के संचालकों पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है.