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अनोखा जीन बैंक, जहां हैं धान की 900 प्रजातियां

आपने गेहूं के कितने किस्मों का नाम सुना है? बमुश्किल 5 या अधिक से अधिक 10. मगर आपको पता है कि दुनिया में चावल की कितनी किस्में पायी जाती हैं? तकरीबन 40 हजार. दुनिया के सबसे सुस्वादु खाद्यान्न होने के कारण हजारों साल से दुनिया भर के किसानों ने धान की विभित्र प्रजातियों को विकसित […]

आपने गेहूं के कितने किस्मों का नाम सुना है? बमुश्किल 5 या अधिक से अधिक 10. मगर आपको पता है कि दुनिया में चावल की कितनी किस्में पायी जाती हैं? तकरीबन 40 हजार.

दुनिया के सबसे सुस्वादु खाद्यान्न होने के कारण हजारों साल से दुनिया भर के किसानों ने धान की विभित्र प्रजातियों को विकसित किया है. कोई सुगंधित है तो कोई मुंह में जाते ही घुल जाता है, कोई पतला और छरहरा है तो कोई ऐसा कि सुबह खा लें तो शाम तक भूख न लगे. अलग-अलग रंग और आकार के ये चावल हमेशा से हमारे मन को लुप्रभाते रहे हैं. मगर जब से हाइ-यील्डिंग और हाइब्रिड वेराइटी का फैशन चला है धान की ये पारंपरिक किस्में दुर्लभ होती जा रही हैं. अधिक उत्पादन के नाम पर किसानों ने इन धानों की खेती करना छोड़ दिया है और कई बेहतरीन किस्में विलुप्त होती जा रही हैं. ऐसे में एक स्वयंसेवी संस्था ने रांची के ओरमांझी के बरतुआ गांव में इन पारंपरिक किस्में के संचयन और संरक्षण का अनूठा और महत्वपूर्ण प्रयास शुरू किया है.

पुष्यमित्र की पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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