बिहारशरीफ (नालंदा) : जैसे-जैसे गरमी की तपीश बढ़ रही है. बाजारों में मौसमी फलों की बिक्री बढ़ रही है. बाजार समिति का आलम यह है कि हर रोज विभिन्न जिलों से कई ट्रक खीरा, तरबूज, लालमी तथा लीची मंगाये जा रहे हैं.
शहर के विभिन्न प्रमुख सड़कों के किनारे फल-सब्जी विक्रेताओं द्वारा इनके ढेर लगा कर बेचे जा रहे हैं. जानकारों के अनुसार लगातार कई दिनों से चल रहे पुरवईया हवा के कारण इनके उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है.
हाल तक 20 रुपया प्रति किलो बिकने वाले तरबूज तथा लालमी का भाव गिर कर सीधे आधा हो गया है. उपभोक्ता भी मौसमी फलों के उपयोग में पीछे नहीं हैं. सुबह-शाम बाजारों में मौसमी फलों के खरीदारों की भीड़ देखी जा रही है.
प्रकृति का अनोखा तालमेल
प्रकृति का व्यवहार हमेशा जीवों के प्रति कोमल का मधुर रहा है. सूरज की तपीश भी अच्छी बारिश के लिए आवश्यक माना जाता है. वर्षा से धरती के सभी जीवों का पोषण होता है. दूसरी ओर प्रकृति ने गरमी से बचने के लिए ककड़ी, खीरा, तरबूज, आम, लीची आदि मौसमी फल प्रदान की है.
इन फलों में भारी मात्र में पानी तथा खनिज लवण की मौजूदगी मनुष्यों को गरमी सहने की शक्ति देता है. यह पसीने से हुए जल तथा खनिज लवणों के अभाव को पूरा कर स्फूर्ति को बरकरार रखता है. गरमी के लिए यह प्रकृति का अनमोल तोहफा है.
काफी हो रही खपत
बाजार समिति के अढ़ाती राजू प्रसाद बताते हैं कि जिले में प्रतिदिन लगभग 3-3 ट्रक खीरा, ककड़ी, लीची तथा लालमी आ रहे हैं. बाजार में तरबूज की मांग अधिक है. जिले के अलावे अन्य जिलों से भी भारी मात्र में तरबूज आ रहे हैं. बाजार समिति से लगभग हर रोज 7-8 ट्रक तरबूज की बिक्री हो रही है. दूसरे अढ़ाती राजू साव बताते हैं कि गरमी जितनी अधिक होती है, मौसमी फलों की बिक्री उतनी अधिक हो जाती है.
आम अभी है आम आदमी से दूर
फलों का राजा आम के अभी बाजार में नहीं उतरने से आम आदमी का जायका नहीं सुधर रहा है. बाजारों में कहीं-कहीं थोड़ा बहुत बंबइया आम की उपस्थिति है, पर रासायनिक पदार्थो से पके होने के कारण लोग अभी उन्हें हाथ लगाने से भी परहेज कर रहे हैं. कारोबारियों की मानें तो अच्छे क्वालिटी के आम आने में अभी हफ्ता भर देरी है. मालदह आम रोहिणी नक्षत्र में पकना शुरू होता है, तभी बाजारों में अच्छे जायकेदार आम खाने को मिलेंगे. फिलहाल आम आदमी को अच्छे आमों की बेसब्री से इंतजार है.