कम क्षमतावाले छह माह में हटेंगे
गांवों में 25 केवीए की जगह लगेंगे 63 केवीए के ट्रांसफॉर्मर
पटना : राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत राज्य भर में लगे कम क्षमतावाले 40 हजार से अधिक जले टुल्लू ट्रांसफॉर्मर को सरकार अपने संसाधनों से दुरुस्त करने में जुट गयी है.
बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी ने कम क्षमतावाले ट्रांसफॉर्मरों को छह महीने में बदलने का निर्णय लिया है. आरजीजीवीवाइ के तहत केंद्र से मिलनेवाले कम क्षमता के ट्रांसफॉर्मरों का उपयोग उद्योग कनेक्शन में शहरी क्षेत्रों में ही होगा, ताकि इनकी चोरी पर रोक लग सके.
केंद्र को कई बार लिखा पत्र
राज्य सरकार टुल्लू ट्रांसफॉर्मर मिलने का शुरू से ही विरोध करती रही है. ऊर्जा मंत्री के स्तर पर केंद्र को कई बार पत्र लिख कर कहा गया कि बिहार की ऐसी भौगोलिक संरचना नहीं है कि केवल बीपीएल परिवार को बिजली पहुंचायी जाये और उसका उपयोग दूसरे लोग नहीं करेंगे.
तार-पोल किसी के घर के ऊपर या बगल से ही ले जाना होगा. राज्य की इस दलील को अब तक केंद्र अनदेखी करती रही है. इससे टुल्लू ट्रांसफॉर्मर के जलने की संख्या 40 हजार को पार कर चुकी है. अब अपने संसाधनों से राज्य सरकार टुल्लू ट्रांसफॉर्मर को दुरुस्त करने में जुट गयी है. सरकार के शीर्षस्थ अधिकारियों ने बैठक कर कम क्षमतावाले ट्रांसफॉर्मरों को शहरी क्षेत्र में एलटी या एचटी कनेक्शन में लगाने का निर्णय लिया.
गांवों में आरजीजीवीवाइ के तहत 25 केवीए के तीन फेजवाले ट्रांसफॉर्मर के स्थान पर 63 केवीए के ट्रांसफॉर्मर लगाये जाये. आवश्यकता के अनुसार एक के बदले 25 केवीए के दो ट्रांसफॉर्मर लगाये जायेंगे. ट्रांसफॉर्मर रिपेयर वर्कशॉप में 63 केवीए ट्रांसफॉर्मरों की मरम्मत तेजी से होगी. सांसदों या विधायकों की ओर से मिलनेवाली निधि को भी ट्रांसफॉर्मर के काम में उपयोग किया जायेगा.
अन्य ट्रांसफॉर्मरों की स्थिति सुधरी
बिजली कंपनी के अधिकारियों का दावा है कि राज्य में आज कहीं भी ट्रांसफॉर्मर नहीं जले हुए हैं. जलते हैं, तो उन्हें गांवों में 72 घंटे और शहर में 24 घंटे के भीतर बदला जाता है. ऐसा नहीं होने पर उपभोक्ता ट्रॉल फ्री नंबर 18003456198 पर शिकायत कर सकते हैं. मामला सही पाये जाने पर संबंधित क्षेत्र के अभियंता को निलंबित किया जा सकता है.
क्या है टुल्लू ट्रांसफॉर्मर
ग्रामीण विद्युतीकरण में केंद्र सरकार 10, 16, 25 या 40 केवीए का ट्रांसफॉर्मर उपलब्ध कराती है, जिसे बोलचाल की भाषा में टुल्लू ट्रांसफॉर्मर कहा जाता है.