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धर्म के अनुरूप ही जीवन बितायें : प्रमाण सागर जी

हजारीबाग : प्रखर वक्ता मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज ने कहा कि धर्म ही एक मात्र ऐसा मार्ग है, जो मनुष्य को सभी कष्टों से मुक्ति दिला सकता है. इसके लिए हमें धर्म के मर्म को समझना होगा. धर्म विपत्तियों को टालता नहीं, बल्कि विपत्तियों में संभलने की ताकत एवं ऊर्जा प्रदान करता […]

हजारीबाग : प्रखर वक्ता मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज ने कहा कि धर्म ही एक मात्र ऐसा मार्ग है, जो मनुष्य को सभी कष्टों से मुक्ति दिला सकता है. इसके लिए हमें धर्म के मर्म को समझना होगा. धर्म विपत्तियों को टालता नहीं, बल्कि विपत्तियों में संभलने की ताकत एवं ऊर्जा प्रदान करता है.

बुधवार को दिगंबर जैन मंदिर बाडम बाजार में प्रात: आठ बजे दैनिक प्रवचन हुआ. प्रमाण सागर जी ने कहा कि धर्म में स्थिरता है. विपत्ति में संभलने का नाम धर्म है. पूजा और धर्म करने से बदलाव आता है. अच्छी बातों को सुनने एवं आत्मसात करने से मनुष्य अच्छा एवं संवेदनशील बनता है.

इसलिए संत समागम एवं संतों की प्रवचन को अवश्य सुनना चाहिए. इससे मन मस्तिष्क के नकारात्मक विचार, सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है. मनुष्य धार्मिक स्थलों, धार्मिक ग्रंथों, धार्मिक विचारधारा को इसलिए अपनाता है क्योंकि वह इन माध्यमों के द्वारा आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति करता है.

धर्म उस दिये के सामान है, जिसमें मनुष्य अपनी सकारात्मक ऊर्जा रूपी तेल डाल कर न केवल उस दिये को निरंतर जला सकता है, बल्कि उस दिये के द्वारा असंख्य दियों को जला कर शांति एवं अध्यात्म का सुखद संदेश भी दे सकता है.

16 मई को प्रात: सात बजे बड़ा बाजार दिगंबर जैन मंदिर में वृहद शांति धारा का कार्यक्रम मुनि श्री के सानिध्य में होगा. मीडिया प्रभारी विजय लुहाड़िया ने बताया कि गुरुवार को बाडम बाजार मंदिर में मंगल प्रवचन प्रात: 8.15 बजे से होगा. संध्या में महाआरती एवं भजन का कार्यक्रम होगा.

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