रांची: अक्षय तृतीया के दिन सोने, चांदी व हीरे की खरीदारी जम कर होती है. इस कारण दुकानों में भारी भीड़ उमड़ती है. ऐसे में लोगों के ठगे जाने की भी सबसे ज्यादा संभावना होती है. ग्राहक कुछ चीजों का ध्यान रखें, तो भीड़ में खरीदारी के बाद भी ठगी से बचा जा सकता है.
हॉलमार्क ज्वेलरी को जानें
सोने के आभूषणों में हॉलमार्क का काफी महत्व है. हॉलमार्क के गहनों में शुद्धता का स्तर सही माना जाता है. यह भारतीय मानक ब्यूरो के मापदंड के अनुसार होता है. हॉलमार्क में कैरेट को दूसरे टर्म में लिखा जाता है. इसमें 750 का अर्थ है 18 कैरेट, 830 का 20 कैरेट, 916 का 22 कैरेट व 999 का अर्थ 24 कैरेट है. यहां 999 का अर्थ है प्रति 1000 अंश में सोना 999 अंश. हॉलमार्क में कैरेट के अलावा दुकानदार का कोड, बनाने की तिथि आदि का भी जिक्र होता है. यहां ध्यान रखनेवाली बात यह है कि कई बार गले की चेन की कड़ी में हॉलमार्किग होती है, चेन में नहीं. इसका मतलब है कि केवल कड़ी का कैरेट रहना.
हीरे में है चार सी का महत्व
यदि आप हीरा खरीदना चाह रहे हैं, तो चार सी का अवश्य ध्यान रखना चाहिए. ये है कट, कलर, क्लीयरिटी और कैरेट. बाजार में ज्यादातर राउंड कट के हीरे ही मिलते हैं. इनके अलावा फैंसी कट में हार्ट, स्क्वायर आदि भी आते हैं. हीरा जितना बड़ा और अच्छे कट में होगा, उतना ही कीमती भी. कलर को डी से जेड कैटेगरी में रखा जाता है.
डी कलर का हीरा अभी सबसे अच्छा माना जाता है. क्लीयरिटी में देखा जाता है कि हीरे में रेशा कितना है. जितना कम रेशा होगा, हीरा उतना ही ज्यादा महंगा होगा. कैरेट की आसान परिभाषा वजन होती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की कीमत के अनुसार हीरे का रेट भी बदलता है. ज्यादातर कंपनियां हीरे के आभूषणों के साथ सर्टिफिकेट भी देती हैं. सरकारी मान्यता प्राप्त कंपनियों का सर्टिफिकेट सही होता है.
एक्सचेंज की जानकारी लें
सोने व हीरे के आभूषणों में एक्सचेंज विकल्प की जानकारी जरूर लेनी चाहिए. सोने में कई स्थानों पर 100 प्रतिशत बाइ बैक होता है. हीरे में एक्सचेंज पॉलिसी पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए. इसमें अक्सर ग्राहक ठगे जाते हैं. जितनी कीमत पर खरीदा गया है, उसकी तुलना में 75 प्रतिशत राशि ही कई कंपनियां ग्राहकों को वापस करने का वायदा करती हैं. चाहे हीरे की कीमत उस दिन कितनी भी हो.
बिल अवश्य लें
सोने-चांदी पर हमारे देश में वैट की दर केवल एक प्रतिशत है. इसे बचाने के चक्कर में लोग ठगे जाते हैं. वैट नहीं चुकाने पर उन्हें पक्का बिल नहीं मिलता है. पक्के बिल में कैरेट, वजन, उस दिन की कीमत व टैक्स का साफ-साफ जिक्र होता है. यही बात हीरे के आभूषणों पर भी लागू होती है.