औरंगाबाद (सदर) : लगातार बढ़ती गरमी ने लोगों को तो क्या जीव-जंतुओं का भी जीना बेहाल कर रखा है. लोग इससे बचने के लिए तरह-तरह की तरकीबें अपना रहे हैं. गरमी में सिर्फ तेज धूप ही नहीं, बल्कि लू से भी जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. दिन में 11 बजे के बाद घरों से लोगों को निकलने की हिम्मत नहीं हो रही.
दोपहर बाद चार बजे तक घर से निकलने की हिम्मत लोग नहीं जुटा पा रहे हैं. जानवर भी बेहाल होकर पानी की तलाश में भटकते नजर आते हैं. दोपहर की चिलचिलाती धूप में शहर के विभिन्न स्थानों पर गरमी से राहत पाने के उपाय के लिए लोग कभी ठेले वाले की शरण लेते हैं, तो कभी किसी पेड़ की छांव की.
घर से निकलना मुश्किल
गरमी का कहर इस कदर बढ़ गया है कि सुबह नौ बजे के बाद लोगों को अपने घरों से निकलने से पहले सोचना पड़ रहा है. बहुत जरूरी होने पर ही लोग बाहर निकल रहे हैं. उस पर भी गरमी से बचने का हर संभव प्रयास करने के बाद भी लोग धूप में निकलने की हिम्मत जुटा पाते हैं. दोपहर के 12 बजते ही सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है. लोग गरमी से त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहे हैं. वहीं तापमान में हर रोज वृद्धि हो रही है.
पसरा रहता है सन्नाटा
दोपहर 12 बजे से लेकर तीन बजे तक सड़कों पर लोग दिखाई तक नहीं देते. ऐसा लगता है मानो शहर में कफ्यरू लगा हो. जीव-जंतु भी पानी की तलाश में इधर-उधर भटकते नजर आते हैं. शाम के पांच बजे के बाद ही सड़कों पर रौनक दिखती है.
पेय पदार्थो की बढ़ी बिक्री
गरमी से राहत पाने के लिए लोग तरह-तरह की तरकीबें अपना रहे हैं. पेय पदार्थो जैसे लस्सी, फलों के जूस, ईख का रस, कोल्ड ड्रिंक्स आदि की बिक्री काफी बढ़ गयी है. लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए लस्सी, जूस,आइसक्रीम आदि का सेवन कर रहे है. बेल के शरबत और कच्चे आम से बने अमझोर का सेवन लोग लू से बचने के लिए कर रहे है.
गमछे का ले रहे सहारा
बढ़ती गरमी व लू से परेशान लोग धूप से बचने के लिए अपने मुंह पर गमछी बांध कर घर से बाहर निकल रहे हैं. स्कूल, कॉलेज के छात्र- छात्राएं भी पूरी तरह बदन को ढक कर ही बाहर निकल रहे हैं. दोपहिया वाहन चालक काफी सावधान दिख रहे हैं. इनके द्वारा हेल्मेट, गोगल्स एवं गमछे का प्रयोग किया जा रहा है, जो इन्हें लू से बचाने में सहायता प्रदान कर रही है.
रिक्शे पर ही कर रहे आराम
ऐसे तो मजदूरों को आराम करने का वक्त कहा मिलता है. लेकिन बढ़ती गरमी व लू के कारण सड़कों पर लोगों को नहीं निकलने से रिक्शे चालकों को सवारी नहीं मिल पा रही है. इसलिए रिक्शा चालक जहां जी में आया छांव के नीचे रिक्शा खड़ा कर आराम फरमा ले रहे है. अगर इस बीच कोई ग्राहक आया तो ठीक नहीं तो मुंह पर गमछा डाल कर सो गये. जानकारों की माने तो विगत सात दिनों के अंदर दिनों दिन तापमान में वृद्धि होती जा रही है.