गोपालगंज : सरकार के लाख दावों के बावजूद आज भी बहुत बच्चे विद्यालय जाने से वंचित है. शिक्षा विभाग द्वारा कई तहर की योजनाएं बच्चे -बच्चियों के पठन -पाठन को लेकर बनायी गयी है. बावजूद उसका सकारात्मक प्रयास नहीं हो रहा है
कचड़े की ढेर से बच्चे पॉलीथिन चुनते व चाय दुकानों में भी ये बच्चे काम करते नजर आते हैं. ऐसी स्थिति में सरकार के सभी दावे ध्वस्त होते दिखायी दे रहे हैं. सब पढ़े -सब बढ़े की योजनाओं पर शिक्षकों की लापरवाही ने पानी फेर दिया है.
प्राथमिक विद्यालय केवल ककहरा सिखाने तक ही सिमट कर रह गया है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कक्षा सात या आठ के बच्चे न तो देश के प्रधानमंत्री का नाम जानते हैं और न ही मुख्यमंत्री का .ऐसे में साफ जाहिर है कि सरकार की करोड़ों रुपये शिक्षा के नाम पर बरबाद हो रहा हैं और इसका लाभ बच्चों को नहीं मिल रहा है. जिले में प्राथमिक और मध्य विद्यालयों की हालत तो इससे भी बदतर है. विद्यालयों में अलग- अलग नजारा देखने को मिलता है.
एक विद्यालय में कक्षा सात की छात्रा नेहा व सीता से यह पूछा गया कि देश के प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री कौन हैं तो हंसते हुए कहा कि नहीं पता. इसी तरह कक्षा आठ के छात्र रघुबीर को भी इसकी जानकारी नहीं थी. कक्षा दो के छात्र रामू व सुजीत ने दोगुना आठ बराबर पूछने पर अगल -बगल झांकने लगे.
बच्चे केवल क,ख,ग, में ही उलझे जा रहे हैं. यह हाल पूरे जिले की शिक्षा व्यवस्था को दरसाता है. कुछ ग्रामीणों ने कहा कि भवन बनवाने के चक्कर में बराबर जिले का चक्कर लगाते हैं.यूपी के बॉर्डर इलाके से जुड़े इस 26 लाख की आबादी में बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने के लिए 1774 विद्यालय संचालित है. शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए सरकार ने 4246 पंचायत शिक्षक ,2239 प्रखंड शिक्षकों की नियुक्ति की है. बावजूद इसके शिक्षा में कोई सुधार नहीं हो पाया है.
* सरकार की प्राथमिकता है प्रत्येक बच्चे- बच्चियों को विद्यालय में नामांकन कराना तथा उन्हें समुचित शिक्षा देना. इसके बावजूद भी किसी -न -किसी रूप में कोई बचा विद्यालय में आने से वंचित हो रहा है, तो उसके पोषक क्षेत्रों में आदेश दिया गया है कि आप सुनिश्चित करें कि आपके पोषक क्षेत्र का कोई बच्च विद्यालय में नामांकन कराने से वंचित न हो.
बीएन सिंह, डीपीओ स्थापना ,गोपालगंज