पटना:सड़क, उर्जा और प्रति व्यक्ति आय के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर पिछड़ा बिहार बैंकिंग सुविधा के मामले में भी देश में पीछे है. राष्ट्रीय स्तर पर देश में जहां प्रति 12 हजार की आबादी पर बैंक की एक शाखा उपलब्ध है वहीं बिहार में प्रति 22 हजार की आबादी पर बैंक की एक शाखा है. केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम के साथ कल नालंदा जिला के राजगीर में आयोजित राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि प्रदेश के 8500 ग्राम पंचायतों में से करीब पांच हजार ग्राम पंचायतों में बैंक की एक भी शाखा नहीं है.
उन्होंने प्रदेश के बाकी अन्य ग्राम पंचायतों में भी बैंक की शाखा खोले जाने की आवश्यक्ता जताया जिससे कि अपना काम शुरु करने को इच्छुक व्यक्ति रिण ले सकें. नीतीश ने कहा कि देश के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले राज्य बिहार में 5270 बैंक शाखाएं हैं जिसमें से 3143 शाखा ग्रामीण क्षेत्रों में और 1150 छोटे शहरों और 978 शहरी इलाकों में स्थित हैं. उन्होंने बैंकों से बिहार के विकास को तीव्र गति प्रदान करने के लिए अपनी महत्वपूर्ण भुमिका अदा करने का आह्वान किया और प्रदेश में कमजोर बैंकिंग व्यवस्था की चर्चा करते हुए बताया कि प्रदेश में 2509 बैंक एटीएम में से 395 ही ग्रामीण इलाकों में मौजूद हैं.
इस अवसर पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 के दौरान बिहार में बैंकों की 750 शाखाएं खोले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. उन्होंने बैंकों को शिक्षा, खाद्य प्रसंस्करण और कृषि कार्यो के लिए खुले दिल से रिण उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान हालांकि बिहार का साख जमा अनुपात 40 प्रतिशत हो गया है पर भविष्य में इसे और भी बेहतर बचाए जाने की आवश्यकता है.