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निगम में आयुक्त, पदाधिकारियों का टकराव चरम पर

आसनसोल: आसनसोल नगर निगम में आयुक्त सह महकमाशासक शिल्पा गौरीसरिया तथा निगम पदाधिकारियों के बीच गहराते विवाद ने बुधवार को असंवैधानिक रुप ले लिया. निगम के एक्सक्यूटिव हॉल में जनगणना के मुद्दे पर चल रही बैठक में हंगामा होने से नाराज श्रीमती गौरीसरिया बैठक से बाहर निकल गयी और बैठक स्थगित कर दी गयी. इसमें […]

आसनसोल: आसनसोल नगर निगम में आयुक्त सह महकमाशासक शिल्पा गौरीसरिया तथा निगम पदाधिकारियों के बीच गहराते विवाद ने बुधवार को असंवैधानिक रुप ले लिया. निगम के एक्सक्यूटिव हॉल में जनगणना के मुद्दे पर चल रही बैठक में हंगामा होने से नाराज श्रीमती गौरीसरिया बैठक से बाहर निकल गयी और बैठक स्थगित कर दी गयी.

इसमें मेयर तापस बनर्जी भी शामिल थे. इधर निगम के कई पदाधिकारियों ने जिलाशासक ओंकार सिंह मीणा को पत्र लिख कर निगम आयुक्त की शिकायत की. उनका आरोप है कि उनकी कार्य प्रणाली से गरीबों के कल्याण मद की योजनाएं भी बाधित हो रही हैं. जिलाशासक श्री मीणा ने शिकायत मिलने की पुष्टि करते हुये इस विवाद को दुखद बताया. श्रीमती गौरीसरिया ने इस मामले में टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.

जनगणना पर बैठक स्थगित
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार निगम आयुक्त श्रीमती गौरीसरिया, मेयर श्री बनर्जी की मौजूदगी में निगम के एक्सक्यूटिव हॉल में जनगणना के मुद्दे पर बैठक चल रही थी. इसी बीच निगम के कुछ पदा धिकारी वहां पहुंचे और बैठक को स्थगित करने को कहा. उनका आरोप था कि जब निगम की कोई योजना लागू ही नहीं करनी है तो इस बैठक से निवासियों का क्या लाभ होगा? विरोध पर नाराजगी जताते हुये श्रीमती गौरीसरिया बैठक से बाहर निकल आयीं और बैठक स्थगित हो गयी. इस संबंध में मेयर श्री बनर्जी और निगम आयुक्त श्रीमती गौरीसरिया ने कोई टिप्पणी कने से इंकार कर दिया.

लाभुकों की बढ़ी परेशानी
इधर निगमायुक्त श्रीमती गौरीसरिया के खिलाफ निगम के पदाधिकारियों ने जिलाशासक श्री मीणा के पास शिकायत भेजी. इस पर निगम चेयरमैन जितेंद्र तिवारी, उपमेयर अमरनाथ चटर्जी, मेयर परिषद सदस्य रवि-उल- इस्लाम, मेयर परिषद सदस्य अभिजीत घटक, हेल्थ व शिक्षा स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन दयामय राय के हस्ताक्षर हैं. उनका कहना है कि निगमायुक्त की कार्य प्रणाली से सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं में गरीब व असहायों को मिलनेवाली सरकारी राशि का भुगतान बंद हो गया है. विकलांग, विधवा व वृद्धों को पेंशन की राशि नहीं मिल रही है.

इससे लाभुकों को काफी परेशानी हो रही है. निगमायुक्त का तर्क है कि इन योजनाओं में भुगतान के लिए पूर्व बोर्ड ने सक्षम अधिकारी से मंजूरी नहीं ली थी. इसके लिए पूर्व बोर्ड के पदाधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी करें, लेकिन लाभुकों की राशि रोकने से गलत संदेश जायेगा. उन्होंने कहा कि निगमायुक्त ने कहा कि गरीबों को आवास योजना में चेक से राशि का भुगतान किया जायेगा. इसके बाद लंबी प्रक्रिया में सबका बैंक खाता खोला गया. लेकिन उनके बैंक खाते में राशि जमा नहीं हो पा रही है. विलंब होने से सामग्री की कीमत लगातार बढ़ रही है. अधिक विलंब होने से लागत राशि बढ़ जायेगी और उनका आवास कभी पूरा नहीं हो पायेगा. इन योजनाओं की अनदेखी नहीं की जा सकती है.

डीएम के अधिकार में अधिक नहीं
जिलाशासक श्री मीणा ने कहा कि उन्हें शिकायत मिली है, लेकिन इस मामले वे अधिक कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं. उन्होंने पूरे प्रकरण को दुखद बताया. उन्होंने कहा कि संवैधानिक आधार पर यह शासी निकाय का मामला है.

क्या हो सकती है अंतिम परिणति
जानकारों का कहना है कि जिस रास्ते पर निगम पदाधिकारियों व निगम आयुक्त का टकराव बढ़ रहा है , उस स्थिति में राज्य सरकार को ही हस्तक्षेप करना होगा. पहली स्थिति में अतिरिक्त प्रभार में रही श्रीमती गौरीसरिया को इससे मुक्त कर पूर्णकालिक निगम आयुक्त की पोस्टिंग की जाये. ऐसा नहीं होने पर दुर्गापुर के निगमायुक्त को ही अतिरिक्त प्रभार देकर इस विवाद को समाप्त किया जा सकता है. ऐसा नहीं होने पर निगम बोर्ड में आयुक्त के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया जा सकता है. लेकिन यह टकराव की आखिरी परिणति होगी.

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