भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विवि की केंद्रीय स्वास्थ्य इकाई (स्वास्थ्य केंद्र) अब बंद होने के कगार पर पहुंच चुका है. इस साल नवंबर के बाद इसमें ताला लटक सकता है. अस्पताल के दोनों चिकित्सक नवंबर तक रिटायर हो जायेंगे. विश्वविद्यालय ने 1978 में चिकित्सकों की नियुक्ति की थी. इसके बाद चिकित्सकों की नियुक्ति या फिर इन्हीं चिकित्सकों की सेवा अवधि विस्तार की ओर ध्यान नहीं देने का बड़ा खामियाजा विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों व छात्रों को ङोलना तो पड़ ही रहा है.
सितंबर व नवंबर में होगी सेवानिवृत्ति : प्रभारी मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मृदुला कुमारी इस साल सितंबर व चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एनके पोद्दार नवंबर में रिटायर कर जायेंगे. डॉ मृदुला के अनुसार स्वास्थ्य केंद्र इस साल चिकित्सकों से खाली हो जाने की सूचना कई बार कुलपति को दे चुकी हैं. लेकिन हर बार यही जवाब आया कि विश्वविद्यालय को नियुक्त करने का अधिकार नहीं है.
ऐसी नहीं थी स्थिति : 1978 में विश्वविद्यालय ने चिकित्सकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया था. साक्षात्कार हुआ. चयन समिति ने तीन चिकित्सकों को चयनित किया. नियुक्ति हुई. इसके बाद चिकित्सक रिटायर करते गये, पर दोबारा नियुक्ति की दिशा में न तो विश्वविद्यालय ने पहल की और न ही राज्य सरकार ने.
दान के भरोसे है स्वास्थ्य केंद्र : उल्लेखनीय है कि नामांकन के वक्त विद्यार्थियों को मेडिकल शुल्क के रूप में 20 रुपये जमा करना पड़ता है. शिक्षक व पदाधिकारियों को 50 रुपये, तृतीय वर्गीय कर्मचारियों को 30 रुपये व चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को 20 रुपये हर साल देना होता है. यह राशि विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केंद्र के खाते में ट्रांसफर कर देता है. पिछले तीन दशक से इसी राशि से स्वास्थ्य केंद्र हर साल दवा खरीदता है. सालाना यह राशि अधिकतम एक -सवा लाख होता है. इससे पूर्व दवा खरीदारी के लिए अलग से दो-ढ़ाई लाख उपलब्ध कराया जाता था.