गया: बच्चों की बहुमूल्य जिंदगी बचाना व उन्हें विकलांग नहीं होने देना सरकार व स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती है. इसका सामना करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के टास्क फोर्स के द्वारा ‘स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर’ बनाया गया है, ताकि जन समुदाय की सहयोग से गांव स्तर से लेकर मेडिकल कॉलेज स्तर तक सुगमता पूर्वक उपचार किया जा सके.
ये बातें बोधगया स्थित संबोधि रिट्रीट में ‘एक्यूट इनसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एइएस)’ विषय पर आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने कहीं. उन्होंने कहा कि एइएस के वायरस की पहचान नहीं हो पा रही है.
विश्व में 50 प्रतिशत बच्चों की मौत एइएस से ही हो रही है. सिर्फ सरकारी अस्पतालों के भरोसे इस खतरनाक बीमारी से जंग नहीं जीती जा सकती है. जन समुदाय को जागरूक कर इस बीमारी से बचा जा सकता है. इस बीमारी से बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए राज्य के सभी सिविल सजर्न को पर्याप्त आवंटन मुहैया करा दिया गया है. उन्होंने मोबाइल मेडिकल टीम गठित करने व पर्याप्त एंबुलेंस भी उपलब्ध रखने का निर्देश सभी सीएस को दिया.
इस मौके पर टास्क फोर्स के सदस्य व नालंदा मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ एके ठाकुर, पीएमसीएच के रोग विभागाध्यक्ष डॉ निगम प्रकाश, एएनएमएमसीएच के रोग विभागाध्यक्ष डॉ एके रवि ने जेइ व एइएस की परिभाषा, लक्षण, सावधानी व इलाज पद्धति पर विस्तार से चर्चा की. संचालन यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ घनश्याम शेट्टी ने की. इस मौके पर जहानाबाद व पटना जिले में चलाये जा रहे जेइ टीकाकरण अभियान की समीक्षा भी की गयी.
कार्यशाला को समाज कल्याण विभाग के सचिव रजित पुनहानी, जीविका के सीइओ अरविंद चौधरी, प्रमंडलीय आयुक्त आरके खंडेलवाल, डीएम बाला मुरुगन डी व अन्य पदाधिकारियों ने भी संबोधित किया. कार्यशाला में पटना, भोजपुर, बक्सर, रोहतास, सारण, सीवान, गोपालगंज, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया, कटिहार, भागलपुर, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, जमुई, खगड़िया, बेगूसराय के सिविल सजर्न तथा गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, नवादा व नालंदा के सिविल सजर्न के अलावा समेत अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, जिला मलेरिया पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी व सभी पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर, जीविका व महिला समाख्या के पदाधिकारी एवं विकास कार्यो से जुड़े एजेंसियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.