भागलपुर: हाइकोर्ट द्वारा बाइपास के लिए हुए भू-अजर्न की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए अजिर्त भूमि के कुछ भाग को निरस्त करने के बाद भी टेंडर प्रक्रिया में कोई असर नहीं पड़ेगा. आठ मई को बाइपास के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू होना तय है.
एनएच के अधीक्षण अभियंता सत्येंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि टेंडर की प्रक्रिया जारी है. उन्होंने बताया कि हाइकोर्ट ने भूमि अजर्न करने से मना नहीं किया है, बल्कि उसकी प्रक्रिया पर सवाल उठाये हैं. हालांकि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (स्पेशल लीव पीटीशन) दायर किया जा रहा है. विदित हो कि 16.73 किलोमीटर लंबे बाइपास के लिए करीब 11 वर्ष पूर्व 221.48 एकड़ भूमि का अजर्न किया गया था.
भूमि अजर्न के बाद लगभग सभी रैयतों ने मुआवजे की राशि भी ले ली है, लेकिन महेशपुर मौजा की अजिर्त 3.58 एकड़ भूमि के तीन रैयतों ने मुआवजे की राशि नहीं लेते हुए हाइकोर्ट में केस दायर कर भू-अजर्न की प्रक्रिया पर ही सवाल उठाये थे. उनका कहना था कि भू-अजर्न का कार्य जल्दबाजी में किया गया. हाइकोर्ट की डबल बेंच ने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि आकस्मिक स्थिति में भू-अजर्न किया गया तो लगभग 11 वर्ष तक वहां पर किसी प्रकार का निर्माण क्यों नहीं हुआ.
भू-अजर्न की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए हाइकोर्ट ने तीनों रैयतों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 3.58 एकड़ भूमि के अजर्न को ही निरस्त कर दिया. इस संबंध में जिला भू-अजर्न पदाधिकारी ईश्वर चंद्र शर्मा ने बताया कि एनएच की ओर से इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर किया जा रहा है. इससे बाइपास की टेंडर प्रक्रिया प्रभावित नहीं होगी. उन्होंने संभावना जतायी कि ज्यादा से ज्यादा उस हिस्से का पूरी प्रक्रिया के बाद दोबारा भूमि अजर्न करना पड़ सकता है.