कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार ने आज पूर्व वाम मोरचा सरकार के कार्यकाल में पारित उस विधेयक को वापस लेने का संकल्प पारित कर दिया, जिसमें चिट फंडों में निवेशकों के हितों की रक्षा की बात की गयी थी. इस विधेयक के बदले तृणमूल कांग्रेस सरकार लायी और उसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.
पश्चिम बंगाल वित्तीय प्रतिष्ठानों में निवेशकों की रक्षा विधेयक 2009 को वापस लेने का प्रस्ताव मतविभाजन के बाद पारित हुआ. विपक्ष ने मत विभाजन की मांग की थी. इससे पहले सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि विधानसभा ने यह विधेयक 2009 में पारित किया था, लेकिन पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने इसे रोक लिया था.
उन्होंने कहा कि केंद्र ने यह विधेयक लौटा दिया था, क्योंकि तय किया गया था कि विधेयक को मजबूत बनाने के लिए इसमें फेरबदल किया जायेगा.
विपक्ष के नेता व माकपा सदस्य सूर्यकांत मिश्र ने प्रस्ताव पेश किये जाने के तरीके का विरोध किया और कहा कि यह विधेयक विधानसभा में पारित हो चुका है, लिहाजा संवाद राष्ट्रपति से राज्यपाल और फिर विधानसभाध्यक्ष तक होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि केंद्र को हस्तक्षेप करने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है.
यह पूरी तरह से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के खिलाफ है. श्री मिश्र ने कहा कि निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकार को उदासीन नहीं रहना चाहिए, जबकि निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है.