नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति अजिर्त करने से संबंधित मामले में वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी की जमानत याचिका पर आज केंद्रीय जांच ब्यूरो से जवाब तलब किया. न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जगनमोहन रेड्डी की जमानत याचिका पर जांच एजेन्सी को नोटिस जारी करने के साथ ही यह मामला सुनवाई के लिये छह मई को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया. जगनमोहन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के 24 जनवरी के आदेश को चुनौती दी है. उच्च न्यायालय ने रेड्डी को इस मामले में जमानत देने से इंकार कर दिया था.
कडप्पा से सांसद रेड्डी को भ्रष्टाचार के आरोप में पिछले साल 27 मई को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. जगनमोहन रेड्डी इस समय हैदराबाद की चंचलगुडा जेल में न्यायिक हिरासत में हैं. इससे पहले, पिछले साल अक्तूबर में भी शीर्ष अदालत ने उनकी जमानत याचिका रद्द कर दी थी. शीर्ष अदालत ने जमानत याचिका रद्द करते हुये कहा था कि याचिकाकर्ता जांच एजेन्सी द्वारा कुछ पहलुओं की जांच पूरी करने के बाद फिर से निचली अदालत में जमानत की अर्जी दायर कर सकता है. जांच एजेन्सी ने न्यायालय में कहा था कि वह संदूर पावर, भारती-रघुरामन सीमेन्ट्स, डालमिया सीमेन्ट्स, इंडिया सीमेन्ट्स और कोलकाता स्थित सूटकेस कंपनियों द्वारा कथित रुप से रेड्डी की लेपाक्षी नालेज परियोजना और इंदु परियोजनाओं सहित उसकी विभिन्न कंपनियों में धन भेजने के मामले में अंतिम आरोप पत्र दायर करने वाली है.
एजेन्सी ने जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ कई आरोप पत्र दायर किये हैं. जांच एजेन्सी का आरोप है कि जगनमोहन रेड्डी, उनके दिवंगत पिता एवं आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी ने सरकार को चूना लगाने के लिये साजिश रची थी. जांच एजेन्सी के अनुसार जगनमोहन रेड्डी ने उसके कारोबार में करोड़ों रुपए निवेश करने वाले विभिन्न व्यक्तियों को चुनिन्दा लाभ पहुंचाने के लिये अपने पिता को प्रभावित किया. राजशेखर रेड्डी की सरकार के अनेक मंत्री और अधिकारी इस समय जांच एजेन्सी की जांच के दायरे में हैं. इन पर आरोप है कि उन्होंने जगनमोहन की तमाम कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिये अनेक विवादास्पद आदेश दिये और भूमि आबंटित करने के साथ ही खदानों के लाइसेंस भी दिये.