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तीन नि:शक्त पुत्रों का दर्द झेल रहा एक दंपती

इसे कुदरत का अभिशाप ही कहेंगे कि एक पिता को तीन पुत्र है, मगर तीनों जन्म से ही नि:शक्त हैं. यह दर्द है कोडरमा प्रखंड की खरकोटा पंचायत के ढेबुआडीह निवासी मो इस्लाम (40 वर्ष) का. मो इस्लाम अपनी पत्नी मेहरू निशा के साथ गांव में ही मजदूरी का काम करता है. बड़ा पुत्र मो […]

इसे कुदरत का अभिशाप ही कहेंगे कि एक पिता को तीन पुत्र है, मगर तीनों जन्म से ही नि:शक्त हैं. यह दर्द है कोडरमा प्रखंड की खरकोटा पंचायत के ढेबुआडीह निवासी मो इस्लाम (40 वर्ष) का. मो इस्लाम अपनी पत्नी मेहरू निशा के साथ गांव में ही मजदूरी का काम करता है.

बड़ा पुत्र मो आलम (11 वर्ष) जन्म से ही गूंगा है. दूसरा पुत्र मो मुस्तफा (10 वर्ष) भी नि:शक्त है. सबसे छोटा पुत्र मो हजरत (नौ वर्ष) बौना है. दंपती को भीतर-भीतर चिंता खाये जा रही है. दंपती का कहना है कि उनका बुढ़ापा कैसे कटेगा.

कोडरमा बाजार : मो इस्लाम बताते हैं कि मो आलम के गूंगा होने और मो हजरत के बौना होने का विकलांग प्रमाण पत्र तो है. मगर मुस्तफा का विकलांग प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है. वे कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते थक चुके हैं.

कार्यालय के बाबू का कहना है कि मुस्तफा को क्या रोग है, पहले इसे साबित करो, तब प्रमाण पत्र देंगे.

प्रतिवेदन मंगायेंगे : जिला कल्याण पदाधिकारी अजीत निरल सांगा ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है. वे शीघ्र ही संबंधित क्षेत्र की आंगनबाड़ी सेविका और महिला पर्यवेक्षिका से उक्त दोनों नि:शक्त बच्चों का प्रतिवेदन मंगा कर बच्चों को लाभ दिया जायेगा. जहां तक मो मुस्तफा की बात है, तो जब तक उसे मेडिकल बोर्ड प्रमाण पत्र नहीं दे देता है, तब तक हम कुछ नहीं कर पायेंगे.
– गौतम राणा –

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