नयी दिल्ली: सरकार ने विभिन्न इकाइयों की गैरकानूनी तरीके से जनता से धन जुटाने की मामले की गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) से जांच कराने का फैसला किया है.
शुरआत में यह जांच 57 कंपनियों पर केंद्रित रहेगी. इनमें से ज्यादातर कंपनियां पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, बिहार और असम में हैं. एसएफआईओ के तहत विशेष कार्यबल कुल 57 कंपनियों की जांच शुरु करेगा. सूत्रों ने कहा कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, इसका दायरा बढ़ाया जाएगा. इस तरह की ज्यादातर कंपनियां पूर्वी राज्यों में कार्यरत हैं. इनमें पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, बिहार और असम शामिल हैं. हालांकि, कार्यबल को देशव्यापी स्तर पर जांच का अधिकार नहीं है.
सूत्रों ने बताया कि इनमें से ज्यादातर कंपनियां वास्तव में चिटफंड के रुप में पंजीकृत नहीं हैं और उनकी गतिविधियों की प्रकृति मल्टी लेवल मार्केटिंग के तरीके की है. सामूहिक निवेश या इसी तरह की अन्य योजनाओं को व्यापक तौर पर पोंजी योजनाओं के नाम से जाना जाता है. समझा जाता है कि एसएफआईओ को जांच के लिए बाहर के विशेषज्ञों की मदद लेनी पड़ सकती है, क्योंकि जांच का दायरा और कंपनियों तक बढ़ाया जाएगा. कंपनी मामलों के मंत्रालय ने कल एसएफआईओ जांच का आदेश दिया था. कोलकाता के सारदा समूह द्वारा धन जुटाने की गतिविधियों के जरिये लाखों निवेशकों को चूना लगाने के मामले में काफी विवाद चल रहा है, जिसके बीच इस तरह की जांच का आदेश दिया गया है.
सुदिप्त सेन की अगुवाई वाले समूह की विभिन्न इकाइयों में से एक सारदा रीयल्टी इंडिया को पहले ही भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) सामूहिक निवेश योजना को बंद करने और निवेशकों का पैसा वापस लौटाने का निर्देश दे चुका है.
बाजार नियामक पहले ही सारधा समूह की अन्य इकाइयों तथा पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों की कई कंपनियों की जांच कर रहा है. बिहार के वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने इसी सप्ताह सेबी के चेयरमैन यू के सिन्हा से मुलाकात कर बिहार में गैर बैंकिंग वित्तीय परिचालन कर रही इकाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आग्रह किया है.