कई बार जब हमारी जिंदगी में कोई समस्या आती है, तो हमें लगता है कि भगवान ने सबसे बड़ी समस्या हमें ही दी है. बाकी लोग सुखी हैं. लेकिन ऐसा है नहीं. दुनिया में हर व्यक्ति की कोई न कोई समस्या है. जिसकी जो समस्या है, वही उसे हल कर सकता है.
एक गांव में एक संत आये. वे किसी की भी समस्या दूर कर सकते थे. सभी लोग जल्दी-से-जल्दी अपनी समस्या संत को बता कर उपाय जानना चाहते थे. नतीजा यह हुआ कि हर कोई बोलने लगा. अचानक संत चिल्लाये, ‘खामोश.’ सब चुप हो गये. संत ने कहा, ‘मैं सबकी समस्या दूर कर दूंगा. एक साथ बोलने के बजाय सब लोग एक-एक कागज पर अपनी समस्या लिख लायें और मुङो दें.’
कुछ ही देर में संत के सामने कागजों का ढेर लग गया. संत ने कागजों को एक टोकरी में रखा और सभी को गोला बना कर बैठ जाने को कहा. गोले के बीच में टोकरी रख दी गयी.
एक आदमी की तरफ इशारा करके उन्होंने कहा, ‘यहां से शुरू करके सब बारी-बारी से आयेंगे और एक-एक कागज उठा लेंगे. ध्यान रहे किसी को अपना कागज नहीं उठाना है.’ लोग एक-एक कर आयें और कागज उठा-उठा कर अपनी-अपनी जगह बैठ गये. संत ने कहा, ‘अब इस कागज में लिखी किसी दूसरे की समस्या पढ़ो. अगर तुम चाहोगे, तो मैं तुम्हारी समस्या दूर कर दूंगा पर उसके बदले में कागज पर लिखी समस्या तुम्हारी हो जाएगी.
तुम्हें लगता है कि तुम्हारी समस्या बड़ी है, तो उसे दूर करवा कर कागज पर लिखी दूसरे की छोटी-सी समस्या अपना लो. चाहो तो आपस में कागज बदल लो. जब तय कर लो कि अपनी समस्या के बदले कौन-सी समस्या लोगे तब मेरे पास आ जाना.’
लोगों ने जब कागज पर लिखी समस्या पढ़ी तो वे घबरा गये. लोग एक-दूसरे से कागज बदल-बदल कर पढ़ते और बार-बार उन्हें लगता कि उनकी समस्या तो जैसी है वैसी है, पर इस नयी समस्या का सामना वे कैसे कर पायेंगे.
कुछ देर में हर किसी को समझ में आ गया कि उनकी समस्या जैसी भी है, उनके अपने जीवन का हिस्सा है और वे ही उसका सामना कर सकते हैं.’
बात पते की
– समस्याएं तो जीवन का हिस्सा हैं. इनसे घबराने के बजाय इनका सामना करना चाहिए. जो समस्याओं से घबराता नहीं है, वही सफल होता है.
– सुख हो या दुख, आपको जो मिला है, उसी में खुश रहना सीखें, क्योंकि दुनिया में हमारे दुख से भी बड़े कई दुख हैं, जो हम नहीं अपनाना चाहेंगे.
।। दक्षा वैदकर ।।