संयुक्त राष्ट्र : भारत ने पश्चिम एशिया में बिगड़ती स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इस्राइल से फलस्तीन पर से पूरी तरह से नाकाबंदी हटाने और नवंबर 2012 में हुए संघर्षविराम समझौते के प्रावधानों को लागू करने की अपील की है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अशोक कुमार मुखर्जी ने कल फलस्तीन की समस्या समेत पश्चिम एशिया की स्थिति पर सुरक्षा परिषद की खुली बहस के दौरान कहा कि इस्राइल ने गाजा में आवश्यक वस्तुओं के प्रवाह को मंजूरी देने के लिए हाल में कुछ कदम उठाए हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘ अब भी नाकाबंदी जारी है और इससे फलस्तीन में आवश्यक सेवाओं, आर्थिक गतिविधियों और ढांचागत विकास पर नकारात्मक असर पड़ रहा है.’’ मुखर्जी ने संयुक्त राष्ट्र से कहा कि यदि मौजूदा स्थिति बनी रहती है तो इस इलाके में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अस्थिरता का बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘‘इस गतिरोध को तोड़ने और शांति प्रक्रिया को फिर से शुरु करने के प्रयास करने चाहिए. नाकाबंदी के कारण आम फलस्तीनियों के हालात दिन-ब- दिन बिगड़ते जा रहे हैं. ’’
मुखर्जी ने कहा, ‘‘इस्राइल की कब्जे की गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हैं और शांति प्रक्रिया के लिए नुकसानदेह हैं. हम इस्राइल से कब्जे की गतिविधियां रोकने की अपील करते हैं ताकि वार्ता की प्रक्रिया शुरु हो सके.’’
उन्होंने कहा कि इस्राइल की जेलों में बंद फलस्तीनी कैदियों की दुर्दशा पर तत्काल ध्यान देने की जरुरत है. फलस्तीन गहरे वित्तीय संकट से जूझ रहा है जिससे वहां विकास की गतिविधियों पर नकारात्मक असर पड़ने का खतरा है.
मुखर्जी ने कहा कि पश्चिम एशिया शांति प्रक्रिया इस समय बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही है. सीरिया में बिगड़ती स्थिति पर उन्होंने कहा कि जून 2012 में लागू की गई कार्य समूह की संयुक्त विज्ञप्ति सीरियाई संकट के समाधान के लिए एक अच्छा आधार मुहैया कराती है.