खरसावां : ओड़िशा के जगन्नाथपुरी के तर्ज पर खरसावां में मां लक्ष्मी द्वारा प्रभु जगन्नाथ के रथ को तोड़े जाने जाने की परंपरा को निभाया गया गया. मान्यता है कि भाई बहन के साथ मौसी घर गुंडिचा मंदिर गये प्रभु जगन्नाथ के पांच दिन बाद भी वापस नहीं लौटने पर मां लक्ष्मी नराज हो जाती है तथा वह स्वयं गुंडिचा मंदिर जा कर प्रभु जगन्नाथ के रथ को तोड़ देती है.
इसके पश्चात प्रभु जगन्नाथ को कोसते हुए मां लक्ष्मी पुन वापस लौटती है. रविवार की रात इस धार्मिक परंपरा को खरसावां में निभाया गया. राजवाड़ी से भजन कीर्तन करते हुए भक्तों की टोली ने प्रभु जगन्नाथ से नराज मां लक्ष्मी की प्रतिमा को प्रभु जगन्नाथ के मौसीबाड़ी गुंडिचा मंदिर तक पहुंचाया.
भक्तों की इस टोली में पूर्व मुख्यमंत्री सह स्थानीय विधायक अर्जुन मुंडा, खरसावां के राजकुमार गोपाल नारायण सिंहदेव, लक्ष्मी मंदिर के पूजारी राजाराम सतपती मुख्य रूप में मौजूद थे. गुंडिचा मंदिर के बाहर खड़े प्रभु जगन्नाथ के रथ नंदीघोष पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा को रख कर रथ का एक हिस्सा तोड़ा गया.
मान्यता है कि मां लक्ष्मी प्रभु जगन्नाथ से नराज हो कर रथ के एक हिस्से को तोड़ देती है. फिर मां लक्ष्मी की प्रतिमा को गुंडिचा मंदिर में ले जाकर रखा गया, जहां वे प्रभु जगन्नाथ को जम कर कोसती है, फिर मां लक्ष्मी वापस अपने मंदिर में लौटती है. लक्ष्मी द्वारा रथ तोड़े जाने की परंपरा को हर साल निभाया जाता है.
इस धार्मिक अनुष्ठान में भक्तों का समागम देखा गया. बड़ी संख्या में भक्त भजन कीर्तन करने के साथ साथ जय घोष लगाते हुए राजवाड़ी स्थिति लक्ष्मी मंदिर से गुंडिचा मंदिर पहुंचे थे, फिर गुंडिचा मंदिर से वापस लक्ष्मी मंदिर गये. इस अनुष्ठान को भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.