माननीय उच्चतम न्यायालय का यह ऐतिहासिक निर्णय कि देश और समाज के ऐसे लोग, जिन्हें न्यायालय द्वारा दो या दो साल से ऊपर की सजा दी जायेगी, वे जनप्रतिनिधि बनने या बने रहने के अधिकार से वंचित हो जायेंगे, भारतीय राजनीति में एक स्मरणीय और प्रभावकारी मील का पत्थर साबित होगा.
साथ ही, पंचायत से पार्लियामेंट तक चुनाव लड़नेवाले राजनीतिज्ञों के सारे मुकदमे, अगर फास्ट ट्रैक कोर्ट के अधीन कर दिये जायें, तो भारतीय राजनीति में बेशक एक स्वर्णिम अध्याय शुरू हो जाये! वरना इससे पहले तक तो यही देखा जाता रहा है कि जब–जब नेता के दामन पर छींटे लगे, तब– तब उसने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके क्लीन चिट पाकर फिर से अपनी नेतागीरी चमकानी शुरू कर दी है.
फिर भी, सम्माननीय न्यायलय को मैं अपने, अपने परिवार तथा शुचिता और विकास की राजनीति चाहनेवालों की तरफ से नमन करता हूं और थॉमस लिली के साथ लोक प्रहरी, जिनके प्रयास से यह दिन देखने को मिला, उन्हें साधुवाद देता हूं और दिल की गहराई से जयकार करता हूं!
प्रो केबी प्रसादत्नपूर्व शिक्षा मंत्री, बिहार