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अब तो बहुरें संताल परगना के दिन!

* हेमंत सोरेन से उम्मीदें अंग्रेजी शासन काल से उपेक्षा सहते आ रहे संताल परगना के लोगों की किस्मत कब बदलेगी? हूल के बाद संताल परगना का गठन हुआ. बावजूद विकास यहां से कोसों दूर रहा. समय बीतता गया, झारखंड राज्य बना. उम्मीदें बढ़ीं कि संताल परगना का अब सही मायने में विकास होगा. लेकिन, […]

* हेमंत सोरेन से उम्मीदें

अंग्रेजी शासन काल से उपेक्षा सहते रहे संताल परगना के लोगों की किस्मत कब बदलेगी? हूल के बाद संताल परगना का गठन हुआ. बावजूद विकास यहां से कोसों दूर रहा. समय बीतता गया, झारखंड राज्य बना. उम्मीदें बढ़ीं कि संताल परगना का अब सही मायने में विकास होगा. लेकिन, स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. खेती के लिए सिंचाई का घोर अभाव.

स्वास्थ्य सुविधाएं ऐसी कि प्रसव काल में जच्चाबच्चा की मौत ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी घरों में हो जाती है. पीने को पानी नहीं. रोजगार के साधन नहीं. कलकारखानें नगण्य. आमदनी का सीमित स्त्रोत. ऐसी स्थिति के बावजूद इस क्षेत्र के नेता यहां के सीधेसादे लोगों को बरगला कर चुनाव जीतते गये.

अब हेमंत सोरेन की नयी सरकार से लोगों को नयी उम्मीदें बंधी हैं. इससे पहले भी दो बार संताल परगना के नेता ही मुख्यमंत्री बने, लेकिन बदलाव नहीं हुआ. हां, राज्य गठन के समय दुमका को जरूर उपराजधानी का दरजा दिया गया. लेकिन यह सिर्फ दिखावा ही रहा. नये मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समक्ष कई चुनौतियां होंगी. पर उसमें से संताल परगना का विकास सबसे अधिक जरूरी होगा.

विकास के अभाव में अब तो यहां नक्सली गतिविधि भी बढ़ गयी है. दुमका पाकुड़ में बढ़ती नक्सली घटनाओं को रोकना भी हेमंत सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. इससे निबटने के लिए संताल परगना का समुचित विकास ही एकमात्र रास्ता हो सकता है. यूं भी संताल परगना में संभावनाएं सबसे अधिक हैं. खेती हो या पर्यटन, सबके लिए यहां संसाधन मौजूद हैं. जरूरत है एक नयी सोच की.


मास्टर
प्लान बना कर उपराजधानी दुमका का विकास किया जाना चाहिए. वहीं दुमका में हाइकोर्ट बेंच की मांग लंबित है. देवघर दुमका में अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधा की जरूरत सबसे अधिक है. इस क्षेत्र में एक भी ट्रॉमा सेंटर नहीं है. उच्च शिक्षणसंस्थान नहीं है. ऐसे में नयी सरकार को अगर झारखंड का विकास चाहिए, तो इसकी शुरुआत संताल परगना से ही करनी होगी.

संभावनाओं पर गौर करें, तो विश्व प्रसिद्ध बैद्यनाथधाम मंदिर में जलार्पण के लिए लाखों लोग हर साल देवघर आते हैं. श्रवणी मेले की बेहतर व्यवस्था से बदलते झारखंड की नयी छवि को लोगों के सामने लाना आसान होगा. वहीं राजमहल की पहाड़ियों जीवश्मों को संताल परगना के इस क्षेत्र में पर्यटकों के लिए नया गंतव्य बनाया जा सकता है. हेमंत सोरेन की नयी सरकार इस बारे में सोच रही है या नहीं, पर ऐसी उम्मीदें यहां के लोगों ने पाल रखी हैं.

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