मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड के 14 शीर्ष नेताओं की संपत्ति फ्रीज़ करने का आदेश दिया गया है.
जिन नेताओं की संपत्ति के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है, उनमें मुस्लिम ब्रदरहुड के सर्वोच्च नेता मोहम्मद बादी भी शामिल हैं.
यह घोषणा उस वक्त की गई है जब अमरीकी दूत विलियम बर्न्स काहिरा में सेना के अधिकारियों से वार्ता करने आ रहे हैं.
अमरीका मिस्र के सैन्य अधिकारियों से लगातार कहता आ रहा है कि वो अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को रिहा करें.
मोहम्मद बादी समेत मुस्लिम ब्रदरहुड के अन्य वरिष्ठ नेताओं के वारंट गिरफ्तारी पहले ही जारी किए जा चुके हैं और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी सेना की हिरासत में हैं.
मुर्सी को हटाने का बचाव
जिन नेताओं की संपत्ति के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है, उनमें मुस्लिम ब्रदरहुड के सर्वोच्च नेता मोहम्मद बदी भी शामिल हैं.
इस बीच, मिस्र की सेना के प्रमुख जनरल सीसी ने रविवार को टीवी संबोधन में मुहम्मद मुर्सी को हटाने के फैसले का बचाव किया है.
सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि किसी भी समूह को देश की राजनीति में भाग लेने से रोका नहीं जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘हर किसी को इस बात का एहसास होना चाहिए कि राजनीतिक जीवन में हर किसी के लिए अवसर मौजूद है और किसी को वैचारिक आंदोलन को भाग लेने से रोका नहीं जा रहा है.
इस बीच सार्वजनिक अभियोजक कार्यालय, तख्तापलट के दौरान राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी और उनकी पार्टी मुस्लिम ब्रदरहुड के सदस्यों के खिलाफ शिकायतों की जांच कर रहा है.
शनिवार को लोक अभियोजक के कार्यालय से जारी होने वाले बयान में कहा गया था कि उसे जासूसी, प्रदर्शनकारियों की हत्या करने पर उकसाने, सैन्य बैरकों पर हमला करने और विदेशी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाने की कई शिकायत मिलीं हैं.
हालाँकि अभियोजन कार्यालय ने यह नहीं बताया है कि शिकायतें किसने की हैं.
मिस्र में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को हटाने के बाद उनकी पार्टी उनकी रिहाई के लिए राष्ट्रव्यापी विरोध कर रही है जिनमें अब तक दर्जनों लोग मारे जा चुके हैं. मुस्लिम ब्रदरहुड ने एक बार फिर सोमवार को विरोध का आह्वान किया है .
ग़िरफ़्तारी वारंट
मोहम्मद बादी और अन्य कई वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ पहले से ही सैन्य बैरक के सामने हिंसा भड़काने के आरोपों में ग़िरफ़्तारी वारंट जारी किए जा चुके हैं. काहिरा में हुई एक हिंसक घटना में 50 से अधिक लोग मारे गए थे जिनमें अधिकतर मुर्सी समर्थक थे.
3 जुलाई से ही मुर्सी के समर्थक भारी तादाद में काहिरा के अलग-अलग इलाकों में प्रदर्शन कर रहे हैं. वे सेना द्वारा मुर्सी को हटाने की कार्रवाई को सैन्य तख्तापलट मानते हुए मुर्सी को दोबारा राष्ट्रपति बनाए जाने की माँग कर रहे हैं.
दूसरी ओर सेना का कहना है कि उसने मिस्र के लोगों द्वारा लाखों की तादाद में विरोध प्रदर्शन करते हुए मुर्सी पर अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाने और तानाशाही रवैये के आरोप लगाने के बाद ही यह कार्रवाई की है.
सभार बीबीसी…