नेशनल क्राइम रिकॉर्डस ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, देश में सड़क दुर्घटनाओं में हर घंटे 17 लोगों की मौत का आंकड़ा भयावह है. इससे स्पष्ट होता है कि आज के जमाने में भले ही हम चांद पर पहुंचने की तैयारी कर चुके हों, लेकिन हकीकत यही है कि अभी हम कायदे से जमीन पर चलने लायक भी नहीं हो पाये हैं. सड़क पर होनेवाली मौतों के लिए एक तरफ अनियंत्रित वाहन और दूसरी तरफ लोगों के बीच कायदे–कानून की कम समझ, दोनों ही बातें जिम्मेवार हैं.
ऐसे मामलों में कमी लाने के लिए जाहिर है सरकार को दोतरफा प्रयास करने की जरूरत है. उसे लोगों को न केवल सूचित और शिक्षित बनाना होगा, बल्कि उसे सड़क पर वाहन चलाने के मानकों को भी अधिक कठोर बनाना होगा. इसके अलावा दुर्घटनाओं के मामलों में भारी–भरकम जुर्माना लगा कर भी लोगों के मन में भय पैदा किया जा सकता है. ताकि वे सही तरीके से वाहन चलायें और दुर्घटनाओं से जहां तक हो सके, बचें. अगर ऐसा होगा, तभी हमारी सड़कें अधिक सुरक्षित बन सकेंगी. ऐसे में सरकारी जवाबदेही के साथ जिम्मेवारी हमारी भी बनती है.
।। विकास पाटनी ।।
(झुमरी तिलैया, कोडरमा)