मित्रों,
इस अंक में हम बात कर रहे हैं अंचल अधिकारी की. इस अधिकारी से गांव-पंचायत के लोगों का सीध सरोकार है. चाहे आवासी प्रमाण-पत्र बनवाना हो या आय प्रमाण-पत्र, म्यूटेशन कराना हो या खजाना जमा करना, अंचल कार्यालय और अंचल अधिकारी से आपका वास्ता हर बार पड़ता है. जमीन और लगान संबंधी सभी तरह के कार्य अंचलाधिकारी के अधिकार क्षेत्र में हैं. आप अपनी जमीन खरीदते या बेचते हैं, तो उसका भी रिकॉर्ड इस कार्यालय में होता है. अगर विकास या निर्माण कार्य के लिए सरकार को जमीन चाहिए या किसी फैक्ट्री को जमीन की जरूरत हो, तो अंचल अधिकारी ही उसका निष्पादन करता है. अंचल अधिकारी एक प्रकार से सरकारी जमींदार है.
जानिए इन योजनाओं को
सरकार ने अंचल कार्यालय के माध्यम से कई योजनाओं की शुरुआत की है. इनका आप लाभ ले सकते हैं.
भू-अभिलेखों का अद्यतनीकरण
इस योजना के तहत भूमि का सर्वेक्षण कर तैयार किये गये अभिलेखों को अद्यतन (अपडेट) किया जाना है और करते हुए भूमि के पूर्ण सर्वेक्षण तथा खितयान का प्रकाशन किया जाना है. इसके साथ ही लगान निर्धारण भी इस योजना का मुख्य उद्देश्य है. सरकार इसके जरिये जहां राजस्व बढ़ाना चाहती है, वहीं इसके जरिये रैयतों के हितो की रक्षा करना चाहती है. इस उद्देश्य की प्राप्ति तथा भू-अभिलेखों के अद्यतनीकरण के लिए बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोवस्त अधिनियम, 2011 लागू किया गया है.
दाखिल खारिज
दाखिल खारिज का कार्य अंचल कार्यालय से होता है. सरकार इसे पारदर्शी, प्रभावी एवं त्वरित बनाने के लिए पहल कर रही है, लेकिन यह काम आज भी सरल नहीं हुआ है. झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी अधिनियम, 2011 में सरकार यह गारंटी देती है कि अगर किसी मामले में कोई आपत्ति प्राप्त नहीं हुई है, तो अंचल कार्यालय 18 कार्य दिवस में दाखिल खारिज के मामले का निष्पादन करेगा और अगर आपत्ति प्राप्त होती है, तो मामले का निष्पादन 45 कार्य दिवस में होगा. दाखिल खारिज होने के बाद करेक्शन स्पील तीन दिन में मिलना है. इसके लिए सरकार ने निबंधन कार्यालय और अंचल कार्यालय के बीच तालमेल बिठाने की भी व्यवस्था की है. यह जिम्मेवारी दी गयी है कि अंचल अधिकारी निबंधित दस्तावेज की प्रति निबंधन विभाग से प्राप्त करें, ताकि दाखिल खारिज का काम आसान हो सके. हल्का कर्मचारी को जिम्मेवारी दी गयी है कि जमाबंदी कायम करते हुए वह मालगुजारी रसीद दे कर मांग पंजी में जरूरी सुधार तुरंत करे. इसके बाद भी कार्रवाई की प्रक्रिया सरल नहीं हुई है, तो आप सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 और झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी अधिनियम, 2011 द्वारा मिले अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
भू-अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण
इस योजना के तहत खतियान (भू-अभिलेखों) का कंप्यूटरीकरण किया जाना है और उसे वेबसाइट पर अपलोड किया जाना है.
गृह-स्थल योजना
राज्य के गृहविहीन गरीब, आदिवासी, अनुसूचित जाति एवं ऐसे अन्य सुयोग्य परिवारों एवं व्यक्तियों को सरकार जमीन उपलब्ध करा रही है, जिनके पास बसने के लिए अपनी जमीन नहीं है. सरकार उन परिवारों को गृह स्थल का वितरण पर्चा बांट कर रही है, ताकि वे गृहविहीन नहीं रहें और सरकार से मिली जमीन पर अपना घर बना सकें.
भूमि का वितरण
सरकार भूमिहीन परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए योजना चला रही है. इसके लिए ऐसे परिवारों को बीच सीलिंग से प्राप्त अधिशेष भूमि का वितरण किया जा रहा है. इन परिवारों के बीच सरकारी गैर मजरुआ भूमि का वितरण करने की सरकार की योजना है.
अतिक्रमण हटाना
सरकारी जमीन पर अतिक्रमण न हो यह देखना अंचल अधिकारी की जवाबदेही है. अगर किसी स्थान पर सरकारी जमीन का अतिक्रमण हुआ है और इसकी शिकायत मिलती है, उसे उसकी जांच करनी है और कर्मचारी से रिपोर्ट मंगवानी है. उसे खुद भी ऐसे मामले में संज्ञान लेना है और कार्रवाई कर ऐसे अतिक्रमण को हटाना है.
प्रमाण-पत्र की मान्यता वैधता
भारत सरकार की सेवाओं में केवल जिला अधिकारी द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र ही मान्य होते हैं. अंचल कार्यालय और प्रखंड कार्यालय से निर्गत प्रमाण-पत्र केवल राज्य सरकार की सेवा के लिए मान्य हैं. जाति प्रमाण-पत्र, आवासीय प्रमाण-पत्र और आय प्रमाण-पत्र आप अंचल कार्यालय से प्राप्त किये जाते हैं.
जाति प्रमाण-पत्र :
यह प्रमाण पत्र स्थायी होता है. एक बार निर्गत जाति प्रमाण-पत्र तब तक वैध होता है, जब तक कि भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा कोई नया आरक्षण नियम लागू नहीं किया जाता है या जाति सूची में कोई संशोधन नहीं किया गया हो.
आवासीय प्रमाण पत्र :
यह प्रमाण-पत्र तब तक वैध होता है, जब तक कि व्यक्ति अपना निवास स्थान बदलता नहीं है. निवास स्थान में परिवर्तन होने पर नया प्रमाण-पत्र बनवाना होता है. एक व्यक्ति का एक ही आवासीय प्रमाण-पत्र हो सकता है. वह एक साथ दो क्षेत्र या दो राज्य का निवासी प्रमाण-पत्र प्राप्त नहीं कर सकता है. ऐसा करना गैर कानूनी है.
आय प्रमाण पत्र :
आय प्रमाण-पत्र केवल छह माह तक वैध होता है. छह माह के बाद फिर से आय प्रमाण-पत्र बनवाना होता है. इसके पीछे सोच यह है कि व्यक्ति की आर्थिक हैसियत में समयानुसार बदलाव आता है.
सरकार की सेवा की गारंटी
झारखंड में 2011 से झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी अधिनियम, 2011 लागू है. इसमें सरकार ने 20 प्रकार की सेवा के लिए समय सीमा तय की है और यह गारंटी देती है कि तय समय सीमा के भीतर जनता का काम पूरा होगा. हम अंचल कार्यालय से जनता को सेवा देने के लिए तय की गयी समय सीमा के बारे में बता रहे हैं.
जाति प्रमाण-पत्र: कर्मचारी की अनुशंसा के साथ आवेदन जमा करने पर 15 दिन.
: सीधा सीओ या अंचल कार्यालय को आवेदन देने पर 30 दिन.
निवासी प्रमाण-पत्र : कर्मचारी की अनुशंसा के साथ आवेदन जमा करने पर 18 दिन.
: सीधा सीओ या अंचल कार्यालय को आवेदन देने पर 30 दिन.
आय प्रमाण-पत्र : कर्मचारी की अनुशंसा के साथ आवेदन जमा करने पर 15 दिन.
: सीधा सीओ या अंचल कार्यालय को आवेदन देने पर 30 दिन.
दाखिल खारिज : अनापत्ति रहित मामलों में 15 कार्य दिवस.
: आपत्ति दाखिल होने पर 45 दिन
: संशाधन पर्ची(करेक्शन स्लीप) तीन कार्य दिवस.
पोजेशन प्रमाण-पत्र : 10 कार्य दिवस.