गया : रमजान का मुबारक महीना बंदों को इसलिए दिया जाता है कि ताकि वह पाकीजा (पवित्र) हो सके. इनसानियत का गम और पूरी इनसानियत की फिकर उसके अंदर आ जाये. इनसान जहन्नुम से बच कर जन्नत में जाने वाली बन जाये. ये बातें छता मसजिद, जीबी रोड के इमाम मौलाना मो इकरमा जफीर असअदी ने कहीं.
उन्होंने कहा कि इस माह में इनसान सच्च व मोमिन बन जाये, जिसका उसे नफा हासिल हो सके. इनसानियत की हमदर्दी, इनसानियत की फिकर उसके अंदर आ जाये. हरेक के दर्द, गम में शरीक होने वाला बन जाये. हर एक के लिए हमदर्दी और खैरखाही का जज्बा इसके दिल के अंदर आ जाये.
उन्होंने बताया कि रमजान मुबारक का महीना इन सभी बातों को अपनी जिंदगी में उतारने के लिए रब की तरफ से वर्ष में एक बार दिया जाता है, ताकि जो 11 महीने लापरवाही की जिंदगी गुजारा हो, वह इस एक महीने में रब को राजी कर ले और खुश कर के कामयाब होने की फिकर कर लें.
यह इस महीने का पैगाम है कि गरीबों, बेवाओं, कमजोर इनसान को फिकर करना कि ये भी कैसे खुशहाल जिंदगी गुजारें. उन्होंने कहा कि हम सब रमजान की कदर करें. अपने कल से अमल से, अपने किरदार से अपने अखलाक से और इसलामी नजरिये हयात को आम करके और उन तरीकों को अख्तियार करके, जो बतलाया गया है कि अल्लाह की ओर से मुसलिमा के लिए एक बहुत बड़ी नेहमत है, और हम सब के लिए बहुत पवित्र है.