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दिमाग को समझायें कि कौन सी चीज ज्यादा महत्वपूर्ण है

।। दक्षा वैदकर ।। हर किसी की जिंदगी में कोई न कोई समस्या जरूर होती है. यह समस्या तब और बड़ी हो जाती है, जब इसका असर हमारे काम पर पड़ने लगे. कई लोग व्यक्तिगत समस्याओं का सामना नहीं कर पाते हैं. जिस दिन उनके साथ कोई समस्या हो जाती है (उदाहरण के लिए किसी […]

।। दक्षा वैदकर ।।

हर किसी की जिंदगी में कोई कोई समस्या जरूर होती है. यह समस्या तब और बड़ी हो जाती है, जब इसका असर हमारे काम पर पड़ने लगे. कई लोग व्यक्तिगत समस्याओं का सामना नहीं कर पाते हैं. जिस दिन उनके साथ कोई समस्या हो जाती है (उदाहरण के लिए किसी अपने से झगड़ा हो जाता है), उस दिन उनका मन काम में नहीं लगता. वे दिन भर उसी मसले पर सोचते रह जाते हैं और इस तरह पूरा दिन बिना काम किये ही बीत जाता है. जिंदगी जीने का यह तरीका ठीक नहीं है. समस्या अपनी जगह है और काम अपनी जगह. ऐसी परिस्थिति से निकलने का केवल एक तरीका है, वह है अपने दिमाग को कंट्रोल करना सीखना.

पिछले दिनों मैंने एक किताब में बहुत रोचक बात पढ़ी. लेखक का कहना था कि जब हम किसी महत्वपूर्ण मीटिंग में बैठे होते हैं और कोई हमें फोन लगाता है, तो हम क्या करते हैं? हम उस वक्त दो चीजों में से एक को चुनते हैंमीटिंग या फिर फोन कॉल. अगर हमें लगता है कि मीटिंग जरूरी है, तो हम फोन करनेवाले को कहते हैं कि बाद में कॉल करें, अभी मैं व्यस्त हूं. वह फोनवाला व्यक्ति यानी कि उस व्यक्ति का दिमाग भी हमारे दिये गये निर्देशों को मानता है और फोन रख देता है.

ठीक इसी तरह जब हम किसी को फोन लगाते हैं और सामनेवाला कहता है कि मैं व्यस्त हूं, बाद में फोन लगा लें’, हमारा दिमाग भी उसके द्वारा दिये गये निर्देशों को मान लेता है. अब यहां सोचनेवाली बात है कि जब हमारे निर्देश किसी और का दिमाग मान सकता है और जब किसी और के निर्देश हमारा दिमाग मान सकता है, तो फिर हमारा दिमाग हमारे खुद के निर्देशों को क्यों नहीं मान सकता? निश्चित ही वह मान सकता है. आपको बस इसकी प्रैक्टिस करनी होगी.

तो दोस्तो, जब भी आपके साथ कोई घटना हो जाये और आपको ऐसी परिस्थिति में ऑफिस में काम करना पड़े, तो खुद के दिमाग को निर्देश दें. उसे कहें कि अभी मेरे लिए काम करना ज्यादा जरूरी है. प्लीज तुम चिंता को कहो कि मुझसे अभी दूर रहे. जब मैं काम कर लूं, तो बाद में भले ही वापस जाना. तब मैं तुम्हारा हल आराम से खोज लूंगा.


– बात
पते की

* निजी जिंदगी और पेशेवर जिंदगी को अलगअलग रखना सीखें. अगर आप एक का असर दूसरे पर पड़ने देंगे, तो जीना मुश्किल हो जायेगा.

* यदि आप ऑफिस में हैं और आपका मूड खराब है, तो कुछ देर के लिए मूड ठीक करनेवाले काम करें. जैसे दोस्तों से गप मारें, पसंदीदा गाने सुनें.

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