22.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

तालाब बन जाता है पत्रकारिता विभाग

भागलपुर : अंग की पत्रकारिता को समृद्ध करने की इच्छा से भागलपुर विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग तो खोला गया, लेकिन यह विभाग एक दशक में ही दम तोड़ने लगा है. अपने उद्घाटन के बाद एक बार यह विभाग बंद भी हो गया. फिर इसकी पढ़ाई शुरू तो हुई, लेकिन हालात वही रहे. जब पूर्व कुलपति […]

भागलपुर : अंग की पत्रकारिता को समृद्ध करने की इच्छा से भागलपुर विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग तो खोला गया, लेकिन यह विभाग एक दशक में ही दम तोड़ने लगा है. अपने उद्घाटन के बाद एक बार यह विभाग बंद भी हो गया.

फिर इसकी पढ़ाई शुरू तो हुई, लेकिन हालात वही रहे. जब पूर्व कुलपति रामाश्रय यादव ने इस विभाग की नींव रखी, तो इस कोर्स की चाह रखने वाले विद्यार्थियों के लिए यह उम्मीद की किरण बना, लेकिन उस सोच को आज विराम लगता दिख रहा है. अब इस विभाग से पत्रकारिता की डिग्री तो मिलती है, लेकिन पत्रकार नहीं बनते हैं.

बुनियादी सुविधाओं का अभाव, शिक्षकों की कमी ऊपर से परीक्षा का निर्धारित समय समय पर रिजल्ट. नतीजा यह विभाग व्यावसायिक कोर्स की चाह रखने वाले विद्यार्थियों के लिए संजीवनी बन सकता था आज यह कोर्स कर रहे छात्रों के बीच हताशा लेकर रहा है. आज यह विभाग अपने अंतिम सांसें ले रहा है.

हद तो तब हो जाती है जब इस व्यावसायिक पाठ्यक्रम को पढ़ाने वाले इस विभाग के पास तो अपना भवन है ही वो संसाधन जिसका दंभ आज से 11 साल पहले भरा गया था. पत्रकारिता की चुनौती की तरह यह विभाग भी एक चुनौती बन गया है. यह विभाग कब बंद होगा, कब खुलेगा विभागाध्यक्ष को भी पता नहीं रहता. कुलपति प्रेमा झा के कार्यकाल में इस विभाग को मान्यता भी मिल चुकी है.


* क्या
थी व्यवस्था

वर्ष 2002 में जब यह विभाग खुला था, उस समय यह अच्छी स्थिति की उम्मीद में था. क्योंकि विभाग को नियमित और संसाधन देने के बात कही गयी थी. पत्रकार बनने को इच्छुक छात्रछात्रों ने इसमें नामांकन कराया, लेकिन इस विभाग का दम दो साल में ही टूटने लगा. परिणाम यह दो साल बाद ही बंद हो गया. पुन: दो साल बाद विभाग में पढ़ाई तो शुरू हुई, लेकिन स्थिति नहीं बदली. जिसके कारण इसे एक साल फिर बंद कर दिया गया. अब तक इस विभाग से 250 छात्र पढ़ाई कर चुके हैं.


* अभी
क्या है हाल

पत्रकारिता विभाग हिंदी विभाग के अंतर्गत चल रहा है, जिसमें हिंदी विभाग के अलावा अंगिका विभाग की पढ़ाई भी होती है. दो कमरों में तीन विभाग को चलाया जा रहा है. वर्तमान में नये सेशन की पढ़ाई शुरू होने के कारण पत्रकारिता विभाग के छात्र विभाग के शिक्षक के कक्ष में पढ़ने को विवश हैं. अभी आलम यह हैं कि बरसात के बाद यह कमरा चुने के कारण इसमें पानी भर जाता है. इसमें पढ़ना छात्रों की मजबूरी है.

* संसाधनों का है रोना

भवन विहीन इस विभाग को कंप्यूटर भी नहीं है. ही कोई प्रैक्टिकल की व्यवस्था है. इस विभाग में पढ़ाने के लिए हिंदी विभाग के शिक्षकों के अलावा अखबार और इलेक्ट्रानिक मीडिया के गेस्ट फैकेल्टी आते हैं. बाहर से आने वाले फैकल्टी का रुझान अब कम होते जा रहा है. कारण विभाग में संसाधन का अभाव होना है. इस कारण नामांकन में छात्रों की संख्या तो घटती ही जा रही है साथ ही कक्षा में भी उपस्थिति काफी कम रहती है.

* कहते हैं विद्यार्थी

छात्र प्रभाकर रंजन ने बताया कि बरसात के दिन में पानी टपकने के कारण पूरे कक्षा में पानी भर जाता है जिससे पढ़ने में काफी दिक्कत होती है. प्रैक्टिकल नहीं होने के कारण पढ़ाई का कोई मतलब नहीं रह जाता है. छात्र चंदा ने बताया कि लाइब्रेरी में पुस्तक नहीं है. क्लास भी सही से नहीं हो पाता है. सत्र 2012-13 में 23 छात्रों का नामांकन है, लेकिन क्षा में उपस्थिति मात्र पांच या छह की होती है.


* कहते
हैं विभागाध्यक्ष

विभागाध्यक्ष नृपेंद्र चंद्र वर्मा ने बताया कि हर साल विद्यार्थियों की उपस्थिति घटती ही जा रही है. इसका कारण रिजल्ट देर से आना, परीक्षा समय पर होना है. विभाग संसाधन विहीन है, जिसके बारे में कई बार विश्वविद्यालय को अवगत कराया गया है, लेकिन कोई पहल नहीं की गयी है.

वर्तमान में पूरे कोर्स का फीस 10 हजार रुपये हैं, जिसका 40 फीसदी विवि को देना पड़ता है. विभाग को किताब दी जाती है ही विद्यार्थियों के टूर के लिए कोई राशि आती है. 60 फीसदी राशि में पूरे विभाग को चलाना पड़ता है. गेस्ट फैकल्टी को पैसा दो सहायक को इसी से वेतन देना पड़ता है. ऐसे में इस विभाग को इस फीस से नहीं चलाया जा सकता है.


* हाल
तिलकामांझी विवि के पत्रकारिता विभाग का

* पढ़ाने के लिए कमरे नहीं, दो कमरों में चल रहा तीन विभाग

* नहीं हो रही कोई पहल

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें