आसनसोल : इंडियन इंसच्यूट ऑफ टेकनालॉजी (आइआइटी) में दाखिले को लेकर पहली बार हुई जेइइ एडवांस परीक्षा की प्रणाली पर उपजे विवाद को देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने आइआइटी काउंसिल की बैठक बुलाने का निर्णय लिया है.
आइआइटी काउंसिल में आइआइटी प्रवेश परीक्षा की खामियों पर विचार किया जायेगा. गौरतलब है कि दिल्ली हाइकोर्ट ने एक छात्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और सीबीएसइ को 12 जुलाई तक जवाब देने को कहा है. याचिका में नयी परीक्षा प्रणाली की वैधता को चुनौती दी गयी है.
गौरतलब है कि आइआइटी के कई संस्थानों के विरोध के बावजूद तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने इस परीक्षा प्रणाली को लागू करने का फैसला लिया था.
कटऑफ लिस्ट से बना भ्रम
कई छात्रों का जेइइ एडवांस में अन्य छात्रों के मुकाबले बेहतर अंक होने के बावजूद आइआइटी में चयन नहीं हो पाया है, क्योंकि वे विभिन्न बोर्ड के 20 फीसदी शीर्ष में जगह नहीं बना पाये. देश के आइआइटी के 16 संस्थानों में दाखिले का आधार जेइइ एडवांस परीक्षा है. जेइइ एडवांस का परिणाम जून में घोषित कर दिया गया था, लेकिन विभिन्न बोर्ड के 20 पर्सेंटाइल का कटऑफ लिस्ट रविवार को जारी करने के बाद छात्रों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी.
क्योंकि जेइइ एडवांस का परिणाम आने के बाद कई छात्रों को काउंसेलिंग के लिए बुलावा आ चुका था, लेकिन 20 फीसदी पर्सेंटाइल का कटऑफ जारी होने के बाद कई छात्र जेइइ एडवांस में अच्छे अंक हासिल करने के बाद भी दाखिले से वंचित हो गये.
सबसे अधिक कट ऑफ आंध्र प्रदेश बोर्ड में 91.8 फीसदी रहा, जबकि बिहार बोर्ड के लिए यह 65 और झारखंड बोर्ड के लिए 56.2 फीसदी है.
अदालतों में याचिका दाखिल होने और छात्रों के बीच भ्रम की स्थिति को देखते हुए आइआइटी काउंसिल की होनेवाली बैठक में इस परीक्षा प्रणाली को लेकर अहम फैसला लिये जाने की उम्मीद है. दिल्ली हाइकोर्ट ने जेइइ परीक्षा प्रणाली को लेकर केंद्र और सीबीएसइ को 12 जुलाई तक जवाब देने को कहा है.