अपराध और धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए कई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. फिर भी अपराधियों की पहचान करने में अकसर कई तरह की दिक्कतें पेश आती हैं. किसी आपराधिक गतिविधि में संलग्न अपराधी की पहचान के लिए अनेक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें से एक अत्याधुनिक तकनीक है ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम यानी एएफआइएस.
यह एक बायोमेट्रिक पहचान प्रक्रिया है, जिसमें डिजिटल इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हुए फिंगरप्रिंट डाटा का विश्लेषण करके उसे सुरक्षित रखा जाता है. अमेरिका में अपराध मामलों की जांच करनेवाली सरकारी एजेंसी यूएस फेडरल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टीगेशन (एफबीआइ) ने मूल रूप से इस प्रक्रिया की शुरुआत की थी.
सामान्य पहचान के साथ धोखाधड़ी रोकने के लिए इसका उपयोग किया जाता है. फिंगरपिंट्रिंग किसी व्यक्ति की पहचान के लिए कानून द्वारा वैधता प्राप्त जांच प्रक्रिया है. तकरीबन 25 से ज्यादा वर्षो से एएफआइएस इसका सफल इस्तेमाल कर चुका है. 1970 के दशक तक आते–आते पहचान प्रणाली की चुनौतियों को देखते हुए इसके समाधान के रूप में अमेरिका में ऑटोमेटिक डाटा प्रोसेसिंग और एएफआइएस की शुरुआत की गयी.
हालांकि, ¨फगरपिंट्र की तकनीक सौ वर्षो से भी ज्यादा पुरानी मानी जाती है, लेकिन स्कैन फिंगरपिंट्र रिडर्स का इजाद 1988 में किया गया. इस पहचान प्रणाली के तहत व्यापक पैमाने पर फिंगरपिंट्र सूचना को संग्रह करके रखना और उपलब्ध नमूनों से उसका मिलान करना अपेक्षाकृत आसान और अधिक सक्षम माना जाता है.