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नहीं मिल रहा पांच हजार करोड़ का हिसाब

* 31,953 करोड़ में से 26,443 करोड़ के डीसी बिल का ही अब तक हो पाया है समायोजन पटना : सरकार के पांच विभागों में पांच हजार करोड़ रुपये का हिसाब–किताब नहीं मिल रहा है. डीसी बिल को लेकर किरकिरी झेल चुकी सरकार ने सभी विभागों को लंबित विपत्रों की तहकीकात करने को कहा है. […]

* 31,953 करोड़ में से 26,443 करोड़ के डीसी बिल का ही अब तक हो पाया है समायोजन

पटना : सरकार के पांच विभागों में पांच हजार करोड़ रुपये का हिसाबकिताब नहीं मिल रहा है. डीसी बिल को लेकर किरकिरी झेल चुकी सरकार ने सभी विभागों को लंबित विपत्रों की तहकीकात करने को कहा है.

स्वास्थ्य, शिक्षा, आपदा प्रबंधन, समाज कल्याण, गृह विभाग, पिछड़ा वर्ग कल्याण, एससी/एसटी कल्याण अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में 3300 करोड़ रुपये का डीसी बिल बाकी है. कुल राशि पांच हजार करोड़ को पार कर जाती है. सरकार के लिए संतोषजनक बात सिर्फ यह है कि महालेखाकार की रिपोर्ट के आधार पर 31953 करोड़ रुपये का डीसी बिल समायोजित कराना था. इसमें से 26,443 करोड़ रुपये का समायोजन हो चुका है. पर, अभी भी पांच हजार करोड़ रुपये के हिसाब नहीं मिलने से विभागें में खलबली मची हुई है.


* सुप्रीम
कोर्ट कर रहा मॉनीटरिंग

डीसी बिल के समायोजन नहीं होने को लेकर हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी थी. इसमें 25,279 करोड़ की राशि का घोटाला कर लिये जाने की बात कही गयी थी. डीसी बिल की प्रक्रिया को देखते हुए घोटाला से इनकार करते हुए हाइकोर्ट ने सरकार को क्लीनचिट दे दी थी. इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी, जिसकी वह नियमित मॉनीटरिंग कर रहा है.

राज्य सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दाखिल कर बताया है कि अब तक 22,044 करोड़ रुपये के डीसी बिल का समायोजन हो चुका है. अब 3234 करोड़ रुपये का बिल समायोजित होना है. यह राशि वित्तीय वर्ष 2002-2003 से 2010-11 तक की अवधि का है. अब राज्य सरकार 2013-14 में अब तक की गयी राशि की निकासी के डीसी बिल के समायोजन की प्रगति की हर सप्ताह मुख्य सचिव समीक्षा करते हैं.

– क्या है विभागों की परेशानी

शिक्षा विभाग का कहना है कि करीब 200 करोड़ रुपये की निकासी को एसी बिल में दिखाया जा रहा है, जबकि यह निकासी बीटीसी 43 पर की गयी है. इसमें साइकिल वितरण छात्रवृत्ति की राशि सन्निहित है. इसमें केवल वाउचर जमा करना है.

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनके यहां अग्रिम राशि की निकासी नहीं होती है बावजूद उसे डीसी बिल के रूप में दिखाया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग का कहना है कि उनके यहां 69 करोड़ के डीसी बिल की पेंडिंग बतायी जा रही है. वित्त विभाग की सीडी में यह राशि 44 करोड़ है. जबकि मात्र 28 करोड़ के ही डीसी बिल का समायोजन कराना है. शेष राशि भवन निर्माण विभाग के पास लंबित है.


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41 विभाग समीक्षा से मुक्त

वित्त विभाग के अधिकारियों के अनुसार मुख्य सचिव ने 49 में से 41 विभागों को समीक्षा बैठक से मुक्त कर दिया है. इन विभागों में 100 करोड़ से कम का डीसी बिल समायोजित होना है. मात्र आठ विभाग में 3300 करोड़ रुपये के डीसी बिल का समायोजन होना है. वित्त विभाग का मानना है कि अगस्त तक पूरी राशि के डीसी बिल का समायोजन हो जायेगा.

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