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टी-20 के दौर में पुलिस बैकफुट पर

आसनसोल : टी-20 क्रिकेट के जमाने पर बाइक राइडर अपराधियों को दबोचने में विफल रही आसनसोल पुलिस ने अब डिफेंसिव खेल शुरू किया है. बैक फुट पर जाकर नागरिकों को समझाया जा रहा है कि वे बैंकों से राशि निकालते समय अत्यधिक सतर्कता बरते,ताकि अपराधियों को उन्हें लूटने का मौका न मिले. दूसरी ओर नागरिकों […]

आसनसोल : टी-20 क्रिकेट के जमाने पर बाइक राइडर अपराधियों को दबोचने में विफल रही आसनसोल पुलिस ने अब डिफेंसिव खेल शुरू किया है. बैक फुट पर जाकर नागरिकों को समझाया जा रहा है कि वे बैंकों से राशि निकालते समय अत्यधिक सतर्कता बरते,ताकि अपराधियों को उन्हें लूटने का मौका मिले.

दूसरी ओर नागरिकों का कहना है कि पुलिस अपने खुफिया तंत्र की विफलता को छिपाने के लिए सांप के गुजरने के बाद लकीर पीटने की रणनीति अपना रही है.

मंगलवार को महिला थाना के समक्ष केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) कर्मियों से बाइक राइडरों द्वारा 90 हजार रुपये की छिनतई करने के बाद पुलिस अधिकारी बुधवार को बीएनआर स्थित स्टेट बैंक और भगत सिंह मोड़ समीप एक्सिस बैंक के बाहर सक्रिय रहे.

इससे पहले केवल कांस्टेबल सीपीवीएफ कर्मी ही बैंकों में डयूटी करते देखे जाते थे और समयसमय पर पुलिस अधिकारी पेट्रोलिंग कर लौट जाते थे. लेकिन बुधवार को काफी समय तक पुलिस अधिकारी बैंकों के बाहर डटे रहे और खासकर बैंकों से निकलने वाले महिला बुजुर्ग ग्राहकों को सावधानी बरतने की बात कहते रहे.

पुलिस अधिकारियों का कहना था कि बैंकों से अधिक राशि की निकासी के समय ग्राहकों को सतर्कता बरतनी चाहिए. खास कर बुजुर्ग और महिलाओं को. यदि वे बैंक से अधिक राशि की निकासी करने आयी हो, तो कोशिश करें कि अपने साथ किसी अन्य को भी लेकर आयें, ताकि मौके से निपटने में सुविधा हो. राशि निकासी के बाद रुपये को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया अपनायी जाये.

आमतौर पर देखा जाता है कि यह राशि थैले या बैग में रख कर ग्राहक बैंक से निकलते हैं. शरीर से अलग राशि होने के कारण अपराधियों को सहूलियत होती है और वे झटके से बैग या थैली लेकर भाग जाते हैं. बैंक से निकलते समय तथा रास्ते में अकेले होने या सुनसान स्थल से गुजरने से बचना चाहिए तथा संदेह होने पर ही पुलिस की मदद लेनी चाहिए. पुलिस अधिकारियों का कहना था कि पुलिस की संख्या कम होने के कारण हर समय हर स्थल पर पुलिसकर्मी की तैनाती संभव नहीं है. इसलिए नागरिकों में सतर्कता के साथ ही इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

दूसरी ओर नागरिकों का कहना है कि पिछले दो माह में बाइक राइडरों ने खुलेआम छह घटनाओं को अंजाम दिया है. पिछले डो वर्षो से शहर में उनकी सक्रियता बनी हुई है, लेकिन अभी तक एक भी अपराधी पक ड़ा नहीं जा सका है. कमीश्नरेट गठन के पहले भी इस तरह के अपराध बढ़े थे. उस समय पुलिस ने बैंकों के आसपास सुरक्षातंत्र को पूरी तरह से मजबूत किया था.

हर बैंक के सामने संदिग्ध व्यक्तियों पर ड़ी नजर रखी जा रही थी. बाइक राइडर के सहयोगी किसी किसी रुप में बैंक परिसर में उपस्थित रहते है. वे ही बड़ी राशि लेकर निकलनेवाले सॉफ्ट टारगेट की पहचान करते हैं तथा बैंक के बाहर मौजूद रहे सहयोगियों को सूचित करते हैं.

फिर बाइक राइडर अपराधी बैंक से लेकर उसके घर तक पहुंचने तक मौके की तलाश करते हैं और मौका पाते ही राशि लूट लेते हैं.यदि पुलिस अधिकारी बैंक के संदिग्ध तत्वों पर नजर रखे तथा सीसीटीवी कैमरों की मदद ले तो आसानी से उनकी शिनाख्त की जा सकती है. नागरिकों का कहना है कि कहीं भी होर्डिग नहीं लगी है कि अपराध होने पर किस पुलिस अधिकारी को फोन पर इसकी सूचना दी जाये.

पुलिस अधिकारियों को इस दिशा में पुलिस अधिकारियों की जिम्मेवारी तय करनी होगी. अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (एडीसीपी,सेंट्रल) सुरेश कुमार चडिवे ने कहा कि छिनतई करने वाले अपराधियों को तलाश किया जा रहा है, साथ ही पुलिस कुछ हद तक नागरिकों को भी सावधानी बरतने की बात कह रही है.

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