नयी दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया के माइकल नोब्स को भारतीय हॉकी टीम के खराब प्रदर्शन के कारण मुख्य कोच के पद से अचानक बर्खास्त कर दिया गया है. वह कार्यकाल पूरा हुए बगैर निकाले गए चौथे विदेशी कोच हैं.
हॉकी इंडिया के महासचिव नरिंदर बत्रा ने कहा कि नोब्स का अनुबंध रद्द कर दिया गया है और फिलहाल वह एक महीने के नोटिस पीरियड पर है. भारतीय हॉकी के हाई परफार्मेंस मैनेजर रोलेंट ओल्टमेंस को नये कोच की नियुक्ति तक टीम का प्रभार सौंपा गया है.
बत्रा ने दावा किया कि नोब्स ने खुद पद छोड़ने का फैसला किया था क्योंकि उन्हें लगा कि वह पद के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं.
बत्रा ने कहा, ‘उन्होंने खुद रोलेंट ओल्टमेंस के साथ हुई बैठक में पद छोड़ने की पेशकश की. उनकी कोचिंग शैली को लेकर कुछ परेशानियां थी. ओल्टमेंस का मानना था कि कई क्षेत्रों में वह अच्छा नहीं कर पा रहे हैं और नोब्स उनमें सुधार करके अच्छे नतीजे भी नहीं दे पा रहे थे.’ उन्होंने कहा, ‘हमने साइ को सूचित कर दिया है कि हम उनकी सेवाओं और नहीं लेना चाहते. फिलहाल ओल्टमेंस के पास पुरूष टीम की अतिरिक्त जिम्मेदारी होगी. वह नया कोच नियुक्त होने पर टीम के प्रभारी होंगे और इस प्रक्रिया में दो तीन महीने लग जायेंगे.’
भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक जिजि थामसन ने कहा कि नोब्स का करार कल रद्द कर दिया गया और उन्हें एक महीने का नोटिस दे दिया गया है. थामसन ने कहा, ‘नोब्स के अनुबंध में एक प्रावधान था कि हम एक महीने का नोटिस देकर उनकी सेवायें लेना बंद कर सकते हैं. हमने उन्हें सूचित कर दिया है और एक महीने का नोटिस भी दे दिया है.’ थामसन ने कहा कि साइ ने हॉकी इंडिया की सिफारिश पर नोब्स की सेवायें आगे नहीं लेने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, ‘हाकी इंडिया ने हमसे कहा कि नोब्स ने खराब प्रदर्शन के कारण आगे पद पर बने रहने से इनकार किया है. चूंकि नोब्स साइ के वेतनमान पर हैं तो हमने आखिरी फैसला लिया.’ दो साल पहले पद संभालने वाले नोब्स को भारी वेतन पर पांच साल का करार दिया गया था लेकिन वह दो साल ही भारतीय हाकी से जुड़े रह सके.
नोब्स से पहले स्पेन के जोस ब्रासा, ऑस्ट्रेलिया के रिक चार्ल्सवर्थ और जर्मनी के गेरार्ड राक भारत के कोच रह चुके हैं लेकिन उनकी विदाई भी विवादास्पद रही.
नोब्स के कार्यकाल की एकमात्र उपलब्धि भारत का लंदन ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करना रहा क्योंकि बीजिंग (2008) ओलंपिक से भारत को बाहर रहना पड़ा था. उसके बाद से टीम के प्रदर्शन में कोई सुधार नहीं आया और लंदन ओलंपिक में आठ बार की चैम्पियन टीम एक भी मैच नहीं जीत सकी. रोटरडम में पिछले महीने हुए एफआईएच विश्व लीग सेमीफाइनल में भारत के छठे स्थान पर रहने के बाद नोब्स का जाना लगभग तय माना जा रहा था. भारत हालैंड के हेग में होने वाले विश्व कप का कोटा वहां से हासिल नहीं कर सका.
बत्रा ने कहा कि ऐसे कोच को बरकरार रखने का कोई फायदा नहीं जिसमें समर्पण और प्रेरणा की कमी हो. उन्होंने कहा, ‘हमें लगा कि उनमें अब कोई प्रेरणा नहीं बची है. एक राष्ट्रीय टीम का कोच ऐसा व्यक्ति नहीं हो सकता जिसमें समर्पण और प्रेरणा की कमी हो. दोनों पक्षों को लगा कि अब आगे बढने का समय है.’ उन्होंने कहा कि नोब्स फिलहाल ऑस्ट्रेलिया में है और अगले सप्ताह उनके लौटने पर हॉकी इंडिया उन्हें सम्मानजनक विदाई देगा.