रांची: सड़क (एनएच-33) चौड़ीकरण के दौरान काटे गये 147 कीमती पेड़ रास्ते से ही गायब हो गये हैं. चौड़ीकरण के दौरान कुल 1928 पेड़ काटे गये. गोदाम तक सिर्फ 1781 पेड़ ही पहुंचे. वन विकास निगम के ऑडिट के दौरान पेड़ के अलावा जलावन लकड़ी गायब होने का मामला सामने आया है. प्रधान महालेखाकार ने ऑडिट के बाद सरकार को रिपोर्ट भेज कर इसकी जानकारी दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हजारीबाग नेशनल हाइवे-33 के चौड़ीकरण के दौरान गैर वन भूमि में पड़नेवाले पेड़ों की कटाई मेसर्स अभिजीत प्रोजेक्ट लिमिटेड द्वारा गयी थी. पेड़ों को काटने के बाद इसके रख-रखाव का काम चौपारण लघु वन क्षेत्र परियोजना हजारीबाग द्वारा किया गया था.
पेड़ काटने के बाद टिंबर और जलावन का निर्धारण करने के बाद उसे गोदाम में लाया जाता है. टिंबर और जलावन निर्धारित करने से संबंधित दस्तावेज पर संयुक्त रूप से मेसर्स अभिजीत, वन निगम और वन विभाग के अधिकारियों का हस्ताक्षर होना चाहिए. इसके बाद ही कटाई स्थल से ले जाने के लिए परमिट जारी किया जाना चाहिए. जांच में पाया गया कि पेड़ों को काटने के बाद जलावन और टिंबर निर्धारित करने के संबंधित दस्तावेज पर सिर्फ एक ही अधिकारी के हस्ताक्षर थे.
पेड़ों की कटाई पूरी होने के बाद रेंज ऑफिसर(लघु वन पदार्थ परियोजना,चौपारण) ने प्रमंडलीय प्रबंधक को इससे संबंधित सूचना दी. इस सिलसिले में 29 जून 2013 को रेंज ऑफिसर द्वारा लिखे गये पत्र में कहा गया कि कुल 1781 पेड़ों की कटाई की गयी. रेंज ऑफिसर ने अपनी रिपोर्ट में पेड़ों की कटाई से 881.359 घन मीटर टिंबर और 1183.852 घन मीटर जलावन मिलने का उल्लेख किया. रेंजर ऑफिसर की रिपोर्ट और कटाई से संबंधित रजिस्टर में दर्ज ब्योरे में भारी अंतर पाया गया.
कटाई से संबंधित रजिस्टर में कुल 1928 पेड़ों के काटे जाने का उल्लेख किया गया है. इनमें से एक ही दिन 875 पेड़ों के काटे जाने का उल्लेख है. कटाई रजिस्टर में दर्ज ब्योरे के हिसाब से कटाई के बाद 147 पेड़ गायब हो गये. इस सिलसिले में पूछे जाने पर निगम के अधिकारियों ने ऑडिट टीम को बताया कि कटाई के बाद डिपो में प्राप्त होनेवाली मात्रा ही सही होती है. परमिट और कटाई की पंजी में दर्ज ब्योरा सही नहीं होते हैं. निगम अधिकारियों के इस जवाब से ऑडिट टीम हैरान है. जांच में जलावन की मात्रा भी कम पायी गयी.
परमिट में 932.412 घन मीटर जलावन लाने का उल्लेख था. जबकि गोदाम में सिर्फ 709 घन मीटर जलावन लकड़ी मिलने की बात दर्ज थी. जांच में 1.50 घन मीटर टिंबर साइट से ही गायब होने की बाद सामने आयी. कटाई रजिस्टर में दर्ज टिंबर की लंबाई के मुकाबले गोदाम में प्राप्त करते वक्त उसी टिंबर की लंबाई कम लिखी गयी और गड़बड़ी की गयी.