इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून पर चरमपंथ को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया.
फ़लस्तीन का ज़िक्र करते हुए बान की मून ने कहा था कि पीड़ितों के लिए स्वाभाविक है कि वो किसी क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ प्रतिक्रिया दें क्योंकि यह नफ़रत और चरमपंथ को बढ़ावा देने का एक कारक भी बन जाता है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए बान ने फ़लस्तीनियों द्वारा इसराइलियों पर छुरे से हमला करने की घटनाओं की निंदा की.
अक्टूबर से ही 155 से ज़्यादा फ़लस्तीनी, 28 इसराइली, एक अमरीकी और एक इरीट्रियाई नागरिक की मौत हिंसा की वजह से हो चुकी है.
नेतन्याहू ने एक बयान में कहा, "संयुक्त राष्ट्र महासचिव की टिप्पणी आतंक को बढ़ावा देती है. आतंकवाद के लिए कुछ भी न्यायोचित नहीं होता है."
न्यूयॉर्क में बीबीसी के निक ब्रायंट का कहना है कि लंबे समय से भाषा के इस्तेमाल को लेकर बान ने काफ़ी सतर्कता बरती है पर अब जब वह अपना कार्यकाल ख़त्म करने की तैयारी में जुटे हैं, तो वह साफ़ तौर पर अपनी बात रखने के लिए प्रतिबद्ध दिखते हैं.
सोमवार को एक 24 साल की इसराइली महिला पर वेस्ट बैंक में छुरे से हमला किया गया था. पिछले 10 दिनों में यह तीसरा हमला है. एक सुरक्षा गार्ड ने दो फ़लस्तीनी हमलावरों की गोली मारकर हत्या कर दी.
वार्ता के आसार नहीं
इसराइल का कहना है कि ज़्यादातर मारे गए फ़लस्तीनी हमलावर थे जबकि बाक़ी विरोध और संघर्ष के दौरान इसराइली सेना द्वारा मारे गए.
बान की मून ने सुरक्षा परिषद में कहा कि ऐसे हमले की घटनाओं में तेज़ी की वजह कुछ फ़लस्तीनियों ख़ासतौर पर युवाओं में बढ़ती अलगाव और निराशा की भावना है.
उनका कहना था, "आधी सदी से क़ब्ज़े के बोझ और शांति प्रक्रिया के बाधित होने से फ़लस्तीनियों के बीच निराशा बढ़ रही है."
इसराइल और फ़लस्तीन के बीच अमरीका समर्थित शांति वार्ता 2014 में रद्द हो गई.
फ़लस्तीनियों ने यह शिकायत की है कि इसराइल उस ज़मीन पर बस्तियां बनवा रहा है जिसका दावा उन्होंने भविष्य में एक देश के निर्माण के लिए किया था.
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