नयी दिल्ली : एक बार फिर यह खबर सुर्खियों मे है कि मुबंई बम धमाके का मुख्य आरोपी और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम भारत आना चाहता था. भारत आने के लिए उसने सरकार के सामने कुछ शर्तें रखी थी लेकिन सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई. एक अंग्रेजी अखबार ने कांग्रेस के नेता और वकील के हवाले से यह खबर दी है.
अखबार ने लिखा है कि दाऊद की वापसी के लिए उच्च स्तर पर बातचीत भी हुई थी, लेकिन बाद में सरकार ने इस पर कोईरुचि नहीं दिखायी और पूरा मामला ठंडा हो गया. सरकार चाहती थी कि दाऊद को उसके शर्तों के साथ भारत ना लाया जाए. दाऊद ने कई ऐसी शर्तें रखी थी जिसे मानना मुश्किल था. दाऊद को भारत लाने के संबंध में एक हाई लेवल मीटिंग हुई थी जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्रीमनमोहन सिंहऔर तत्कालीन नेशनल सिक्यूरिटी एडवाइजर शिवशंकर मेनन शामिल थे इस बैठक में फैसला लिया गया कि दाऊद की शर्तें नहीं मानी जा सकती.
मनमोहन सिंह ने किया इनकार
अखबार में छपी इस खबर को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने निराधार बताया और कहा कि उन्हें याद नहीं कि यह सब कब हुआ. मेरे पीएम रहते ऐसे मुद्दे पर कुछ चर्चा नहीं हुई है.
शिवसेना ने कहा, दाऊद के लिए पाक पर दबाव बनाये भारत
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, दाऊद वकीलों के माध्यम से अपनी शर्तों के दम पर भारत वापस आना चाहता है. भारत को पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहिए. देशद्रोही और भगोड़े इस तरह की कोशिश कर रहे हैं भारत को अपनी मजबूत स्थिति इस मामले में पाक के सामने रखनी चाहिए. भारत का गुनाहगार पाकिस्तान का स्टेट गेस्ट है. भारत को पाकिस्तान के ऊपर ऐसा दबाव बनाना चाहिए कि वह उसे पकड़कर भारत को दे दे. अखबारों मे उसकी चर्चा करके कुछ नहीं होगा उसे वापस लाना है तो पाकिस्तान की छाती पर पांव रखके वापस लाना होगा.
वापसी की खबरों पर क्या कहते हैं नेता
दाऊद की वापसी पर पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा, जिस वक्त मैं गृहमंत्री था हमारे पास ऐसी कोई खबर नहीं थी जैसी आ रही है इस संबंध में हमारे पर किसी एजेंसी से कोई जानकारी नहीं थी.
इस मामले पर कांग्रेस नेता रीता बहुगुणा जोशी ने कहा, दाऊद जैसा आतंकी अपनी शर्तो पर भारत नहीं आ सकता हमारी मांग रही है कि सरकार इस गुनाहगार को पकड़कर भारत लाये. उसे भारत आना है तो कानून के दायरे में आना होगा शर्तों के आधार पर नही. कानून उसकी सजा निर्धारित करेगा दोषी नहीं.
माजिद मेमन एनसीपी– किसी भी दोषी को वापस आने में इस बात का ध्यान रखा जा सकता है मानव अधिकारों का हनन ना हो. उसके साथ कानून से हटकर कोई दूसरा व्यवहार ना किया जाए. यहां तक उसकी शर्तों को माना जा सकता है लेकिन उसकी अनैतिक मांगों को नहीं माना जा सकता.
सत्येंद्र सिंह, भाजपा- मुझे इन खबरों पर ज्यादा विश्वास नहीं होता कि दाऊद वापस आने के लिए तैयार था. मैं उस वक्त मुंबई का पुलिस कमिश्नर था उस वक्त जो दाऊद की चर्चा थी उसे मुंबई पुलिस तक नहीं पहुंचने दिया जाता था. मनमोहन सिंह भी इससे इनकार कर रहे हैं. संभव है कि कुछ लोग प्रचार के लिए इस तरह की खबरें फैला रहे हैं. अगर इस तरह की बात की भी होगी तो पाकिस्तान उसे भारत वापस आने नहीं देगा.
एक बार फिर सुर्खियों में दाऊद के वापसी की खबरें
भाजपा के पूर्व नेता और वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी ने भी दावा किया था कि दाऊद और उनकी मुलाकात दुबई में हुई थी जिसमें कुछ शर्तों के साथ दाऊद भारत वापस आने को तैयार था लेकिन सरकार ने उस वक्त कोई तेजी नहीं दिखायी और दाऊद ने भी ज्यादा इंतजार नहीं किया. अंतत: सरकार ने उसकी शर्तों को मानने से इनकार कर दिया.
बकरी का बच्चा नहीं है दाऊद
एक टीवी चैनल को पिछले दिनों छोटा शकील ने इंटरव्यू दिया था जब दाऊद के वापसी की खबरें सुर्खियां बनी थी. उसने कहा था कि दाऊद कोई बकरे का बच्चा नहीं है कि हाथ आ जायेगा. उसे पकड़ना इतना आसान नहीं है.