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कुसुंडा क्षेत्र के पूर्व इइ व सप्लायर को तीन-तीन वर्ष की सजा

धनबाद : सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश तृतीय गोपाल कुमार राय की अदालत ने सोमवार को बीसीसीएल के कुसुंडा क्षेत्र में घटिया लोहे के दरवाजा की आपूर्ति कर कंपनी को लाखों रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंचाने के मामले में कुसुंडा क्षेत्र के पूर्व कार्यपालक अभियंता ( सिविल) काली पदो पाल व आपूर्तिकर्ता मेसर्स आरके स्टील इंडस्ट्रीज […]

धनबाद : सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश तृतीय गोपाल कुमार राय की अदालत ने सोमवार को बीसीसीएल के कुसुंडा क्षेत्र में घटिया लोहे के दरवाजा की आपूर्ति कर कंपनी को लाखों रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंचाने के मामले में कुसुंडा क्षेत्र के पूर्व कार्यपालक अभियंता ( सिविल) काली पदो पाल व आपूर्तिकर्ता मेसर्स आरके स्टील इंडस्ट्रीज झरिया के प्रोपराइटर देवधारी पांडेय को भादवि की धारा 420 सहपठित 511 में दोषी पाकर तीन-तीन वर्ष की कैद व दो-दो लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनायी.
अदालत ने कार्यपालक अभियंता को पीसी एक्ट की धारा 13 (2) सहपठित 13 (1) (डी) में भी दोषी पाया और तीन वर्ष की कैद व पचास हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. फैसले के वक्त अभियोजन की ओर से सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक कुंदन कुमार सिन्हा अदालत में मौजूद थे. अदालत ने दोनों आरोपियों को भादवि की धारा 120 बी में भी एक एक वर्ष की सजा सुनायी. सभी सजा एक साथ चलेगी. बाद में अदालत ने सजायाफ्ताओं को झारखंड उच्च न्यायालय में अपील के लिए अंशकालिक जमानत दे दी.
क्या है मामला : वर्ष 1992-93 में जब कुसुंडा क्षेत्र में राजेश कुमार गुप्ता एडिशनल जेनरल मैनेजर, कालीपदो पाल एक्सक्यूटिव इंजीनियर (सिविल), वीरेंद्र नारायण सिन्हा एरिया परचेज ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे, तब उन अधिकारियों ने एक षड्यंत्र के तहत धोखाधड़ी कर मेसर्स आरके स्टील इंडस्ट्रीज झरिया को दो लाख 56 हजार 147 रुपये 85 पैसे का लोहे का दरवाजा आपूर्ति करने का कार्यादेश दिया था. लेकिन ठेकेदार देवधारी पांडेय ने घटिया लोहे के दरवाजा की आपूर्ति कर कंपनी से उक्त राशि का भुगतान ले लिया.
जिससे कंपनी को आर्थिक नुकसान हुआ. गुप्त सूचना के आधार पर सीबीआइ ने तीन अगस्त 94 को प्राथमिकी दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ अनुसंधान प्रारंभ किया. केस के आइओ सीबीआइ के इंस्पेक्टर एनएमपी सिन्हा ने 12 सितंबर 2000 को आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.
सीबीआइ ने एक अन्य आरोपी वीएन सिन्हा को सात अगस्त 15 को उनके पैतृक गांव पाकरडीह बोध गया से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. अदालत ने एक मार्च 05 को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर विचारण शुरू किया. केस विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से सीबीआइ ने बीस गवाहों की गवाही करायी. यह मामला आरसी केस नंबर 23/94 डी से संबंधित है.

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