आरा : पांच लाख 58 हजार की आबादी पर अरवल को जिला बना दिया गया, जबकि सहार की आबादी पांच लाख 19 हजार हो गयी है, तो इसे अब तक अनुमंडल का भी दर्जा नहीं मिला. उक्त बातें सहार को अनुमंडल बनाने की मांग को लेकर धरने पर बैठे पूर्व पत्रकार लव कुमार मिश्र ने कही. उन्होंने कहा कि मुख्यालय से सहार 40 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है.
मुख्यालय जाने में लोगों को दो घंटे का वक्त लगता है. आर्थिक और विकास से सहार काफी पिछड़ा हुआ क्षेत्र है. बिहार में सबसे पहले नक्सली गतिविधि सहार के एकवारी में हुई थी. एक दिवसीय धरना के पश्चात अपनी मांगों का ज्ञापन प्रखंड विकास पदाधिकारी को सौंपा गया.
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता आशुतोष कुमार ने कहा कि अनुमंडल का दर्जा जब तक नहीं मिलेगा हमलोग अपना आंदोलन अनवरत जारी रखेंगे. एक दिवसीय धरना का नेतृत्व अंधारी गांव निवासी राजू पाठक और वकील कुमार ने किया. इस मौके पर आशुतोष प्रकार, विमलेश कुमार, मोहन कुमार, शंकर राम, हीरा लाल चौधरी, महेश पासवान सहित कई लोग उपस्थित थे.
क्या है अनुमंडल बनाने का मापदंड
अनुमंडल बनाने के लिए राज्य सरकार का आदेश जरूरी है. राज्य सरकार ने इसके लिए तीन कैबिनेट स्तर के मंत्रियों की एक उप समिति बनायी है, जो उस जगह का निरीक्षण कर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपती है. साथ ही स्थानीय जन प्रतिनिधि , सांसद, विधायक व सामाजिक कार्यकर्ता की भी सहमति और भागीदारी जरूरी है.
पूर्व में भी उठ चुकी है अनुमंडल बनाने की मांग
पूर्व में भी सहार को अनुमंडल बनाने की मांग उठ चुकी है. कई बार इसे लेकर धरना और प्रदर्शन किया गया है, लेकिन आज तक अनुमंडल बनाने को लेकर राज्य सरकार द्वारा किसी प्रकार का दिशा निर्देश नहीं जारी किया गया है. स्थानीय लोग कई विभागों के मंत्री और अधिकारियों को भी पूर्व में ज्ञापन सौंप चुके हैं.