प्रवासी भारतीय दिवस से पहले भारत सरकार ने सिटिज़नशिप एक्ट में संशोधन कर एक अध्यादेश लागू किया है.
इसके तहत भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) और भारत के विदेशी नागरिकों (ओसीआई) योजनाओं का विलय कर दिया जाएगा.
राष्ट्रपति ने कल इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का सात महीने में यह नौवां अध्यादेश था.
उन्होंने पीआईओ और ओसीआई को विलय करने का वादा विदेशों में भारतीय मूल के लोगों से अपने अमरीकी दौरे में किया था, जो अब पूरा हो गया है.
अध्यादेश से भारतीय मूल के लोगों को फ़ायदे
- पीआईओ वीज़ा अब तक 15 साल के लिए ही दिया जाता था. अब यह आजीवन होगा. उसी तरह, जैसे ओसीआई वीज़ा होता है
- पीआईओ वीज़ा हासिल करने वालों को भारत में छह महीने से अधिक रहने पर पुलिस स्टेशन जाकर रिपोर्ट दर्ज करानी होती थी. हर छह महीने पर वापस भारत लौटने के बाद उन्हें पुलिस स्टेशन का चक्कर लगाना पड़ता था. अब उन्हें पुलिस स्टेशन का चक्कर लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. ओसीआई कार्ड रखने वालों को पहले से ही इसमें छूट मिली हुई है.
- पीआईओ कार्डधारी भी अब भारत में ज़मीन-जायदाद खरीद सकते हैं. उसी तरह, जैसे ओसीआई कार्ड रखने वाले करते हैं.
- वह धारा ख़त्म कर दी गई है, जिसके तहत भारतीय नागरिकों से शादी करने वाले विदेशी नागरिकों के लिए भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम लगातार एक साल भारत में रहना ज़रूरी था. अब उन्हें इस एक साल में 30 दिन के लिए विदेश जाने की इजाज़त होगी.
- पीआईओ और ओसीआई के विलय के बाद भारतीय मूल के लोगों को हमेशा के लिए भारत में रहने की इजाज़त होगी और उन्हें वो सभी अधिकार होंगे जो आम भारतीय नागरिकों को होते हैं. केवल चुनावों में भाग लेने और वोट देने की अनुमति नहीं होगी.
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